ज्ञानवापी मामले में हिंदू महिला याचिकाकर्ता सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहे हैं। इसमें मसजिद में सील किए गए 10 तहखानों को खोलने की मांग की जाएगी। इनके बंद होने से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा उनके सर्वे में बाधा पैदा हो रही है। इनके वकील विष्णु शंकर जैन का तर्क है कि माना जाता है कि इन तहखानों में मौजूदा इमारत से पहले के हिंदू मंदिर के महत्वपूर्ण सबूत हैं। पिछले हफ्ते वाराणसी अदालत के आदेश पर दोनों पक्षों को सौंपी गई एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में कुछ इसी तरह के दावे किए गए हैं।
याचिकाकर्ताओं के वकील जैन ने कहा कि "हमारी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में, हमने अदालत से अनुरोध किया है कि एएसआई को दक्षिणी और उत्तरी किनारों पर सभी तहखानों में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके वैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया जाए। एएसआई को तहखानों के भीतर की दीवारों को खोलने के बाद मरम्मत करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए।“
सोमवार को जैन SC के सामने एक और याचिका पेश करेंगे। इसमें ज्ञानवापी परिसर में सीलबंद "वज़ुखाना" का एएसआई सर्वे कराने की मांग की जाएगी। वजुखाना को 16 मई, 2022 से सील कर दिया गया है। जब हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि वहां सर्वे के दौरान एक कथित "शिवलिंग" पाया गया है।
हाल ही में हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि एएसआई की रिपोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी मसजिद परिसर में हिंदू मंदिर ढांचे के अस्तित्व की बात कही गयी है। वकील विष्णु शंकर जैन ने सर्वे रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह बात कही। हिंदू पक्षकारों ने दावा किया है कि मसजिद 17वीं शताब्दी में मूल काशी विश्वनाथ मंदिर गिराने के बाद उसके स्थान पर बनाई गई थी। एएसआई को वाराणसी जिला अदालत ने जुलाई 2023 में ज्ञानवापी मसजिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का काम सौंपा था।
पिछले साल एएसआई ने यह तय करने के लिए ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था कि क्या मसजिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। अदालत ने एएसआई सर्वेक्षण का आदेश तब दिया था जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि 17वीं सदी की मसजिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था।
जैन ने एएसआई रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को कहा, 'एएसआई के निष्कर्षों से पता चलता है कि मसजिद में संशोधन किए गए थे, स्तंभों और प्लास्टर को मामूली बदलाव के साथ पुन: उपयोग किया गया था। नई संरचना में उपयोग के लिए हिंदू मंदिर के कुछ स्तंभों को थोड़ा संशोधित किया गया था। स्तंभों पर नक्काशी को हटाने का प्रयास किया गया था।'