गणतंत्र दिवस के दिन जब किसानों की ट्रैक्टर परेड बेकाबू हो गई और हज़ारों किसान तयशुदा रूट छोड़ कर और पुलिस बैरिकेड तोड़ कर दिल्ली में दाखिल हो गए थे तो लोगों को बरबस चौरी-चौरा कांड की याद आई थी। यह भी कहा गया था कि किसान नेताओं को हिंसा की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस आन्दोलन को फिलहाल रोक देना चाहिए।
चौरी-चौरा: 100 साल पहले जब हिंसक उठा था किसानों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन
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- 5 Feb, 2021
गणतंत्र दिवस के दिन जब किसानों की ट्रैक्टर परेड बेकाबू हो गई और हज़ारों किसान तयशुदा रूट छोड़ कर और पुलिस बैरिकेड तोड़ कर दिल्ली में दाखिल हो गए थे तो लोगों को बरबस चौरी-चौरा कांड की याद आई थी।

जिस चौरी-चौरा कांड की याद लोगों को ताज़ा हो गई, गुरुवार को उसके सौ साल पूरे हो गए। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में यह कस्बा है, जहाँ 4 फरवरी 1922 को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रही किसानों की भीड़ उग्र हो उठी थी। गुस्साए किसानों ने पुलिस चौकी पर हमला कर उसमें आग लगा दी थी। इस कांड में 22 पुलिस वाले मारे गए थे।