गणतंत्र दिवस के दिन जब किसानों की ट्रैक्टर परेड बेकाबू हो गई और हज़ारों किसान तयशुदा रूट छोड़ कर और पुलिस बैरिकेड तोड़ कर दिल्ली में दाखिल हो गए थे तो लोगों को बरबस चौरी-चौरा कांड की याद आई थी। यह भी कहा गया था कि किसान नेताओं को हिंसा की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस आन्दोलन को फिलहाल रोक देना चाहिए।