क्या बड़ी संख्या में पाकिस्तानी लड़कियाँ भारत में शादी करके रह रही हैं और क्या यह आतंकवादी डिज़ाइन का हिस्सा है? आख़िकर निशिकांत दुबे ने यह किस आधार पर यह कहा और उनका मक़सद क्या है?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा कि लगभग 5 लाख से अधिक पाकिस्तानी लड़कियाँ भारत में शादी कर रह रही हैं और आज तक उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली है।' उन्होंने इसे 'पाकिस्तानी आतंकवाद का नया चेहरा' क़रार देते हुए आंतरिक सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया। सवाल उठ रहे हैं कि निशिकांत दुबे ने यह पाँच लाख का आँकड़ा कहाँ से दिया है? क्या इस दावे में कोई तथ्य है?
निशिकांत दुबे का यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने के आदेश देने के बाद आया है। आदेश के बाद अटारी-वाघा सीमा पर भारी भीड़ देखी गई। 25-27 अप्रैल, 2025 के बीच, लगभग 530 पाकिस्तानी नागरिक अटारी चेकपोस्ट के माध्यम से भारत से बाहर गए, जबकि 744 भारतीय नागरिक वाघा के रास्ते पाकिस्तान से लौटे। बहरहाल, दुबे के दावे ने बड़ी बहस छेड़ दी है और इसे धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
दुबे ने पहलगाम हमले को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा और दावा किया कि भारत इसका बदला लेगा। उनके इस बयान ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर तनाव को उजागर किया, बल्कि सीमा-पार विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दे को भी राजनीतिक रंग दे दिया।
निशिकांत दुबे के दावे के समर्थन में आधिकारिक आँकड़े और विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध नहीं हैं। भारत सरकार, गृह मंत्रालय या जनगणना विभाग ने कभी भी ऐसी जानकारी जारी नहीं की कि कितनी पाकिस्तानी महिलाएँ शादी के बाद भारत में रह रही हैं। 2011 की जनगणना में भी विदेशी नागरिकों की संख्या का सामान्य उल्लेख है, लेकिन इसमें पाकिस्तानी महिलाओं को अलग से नहीं गिना गया। दुबे ने अपने दावे के लिए कोई स्रोत या आँकड़ा नहीं दिया, जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण सीमा-पार विवाह के बेहद कम मामले आते हैं। जो विवाह होते हैं, वे कड़ी वीजा और नागरिकता प्रक्रियाओं से गुजरते हैं।
मिसाल के तौर पर लॉन्ग-टर्म वीजा या नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के तहत कुछ पाकिस्तानी नागरिकों (खासकर हिंदू और सिख) को नागरिकता दी गई है, लेकिन यह संख्या सीमित है। बिहार के भोजपुर में दो पाकिस्तानी महिलाएँ, असरी बेगम और आसमा, लॉन्ग-टर्म वीजा पर भारत में रह रही हैं और उनके दस्तावेज वैध हैं। इतनी बड़ी संख्या में बिना दस्तावेज भारत में रहना संभव नहीं लगता है, क्योंकि भारत की सुरक्षा और आव्रजन प्रणाली ऐसी अनियमितताओं को आसानी से पकड़ लेती है।
कुछ व्यक्तिगत मामले सामने आए हैं। मिसाल के तौर पर ओडिशा की शारदा कुकरेजा 35 वर्षों से भारत में अपने भारतीय पति के साथ रह रही हैं, लेकिन अभी भी पाकिस्तानी नागरिक हैं। उन्हें सीएए के तहत नागरिकता का अधिकार है। इसी तरह, सिद्रा रफीक और मरियम यूसुफ जैसे मामले हैं, लेकिन ये संख्या कुछ सौ तक ही सीमित लगती है। 5 लाख की संख्या अतिशयोक्तिपूर्ण लगती है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या का कोई ऐतिहासिक या सामाजिक संदर्भ नहीं मिलता।
एक्स पर कुछ यूजर्स ने दुबे के दावे को सही मानने से इनकार किया, यह तर्क देते हुए कि बिना आधिकारिक डेटा के इसे स्वीकार करना ग़लत है। दूसरी ओर, कुछ पोस्टों ने इसे सनसनीखेज बनाकर प्रचारित किया, जिससे धार्मिक और राष्ट्रीय भावनाएँ भड़कीं। यह दिखाता है कि दावा तथ्यों से अधिक भावनात्मक और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर आधारित है।
कितनी पाकिस्तानी लड़कियाँ शादी कर भारत में रह रही हैं? इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि भारत सरकार ने इस समूह की संख्या को सार्वजनिक रूप से अपडेट नहीं किया है। कुछ अनुमान और समाचार रिपोर्ट्स के आधार पर अनुमानित संख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार पाकिस्तानी महिलाएँ भारत में शादी के बाद रह रही हो सकती हैं। मिसाल के तौर पर 2017 में महाराष्ट्र में पाकिस्तानी नागरिकों के नागरिकता आवेदनों में छह गुना बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन यह संख्या कुछ सौ तक ही थी।
कई पाकिस्तानी महिलाएँ लॉन्ग-टर्म वीजा पर हैं और कुछ को सीएए के तहत नागरिकता मिली है, खासकर हिंदू और सिख समुदायों से। हालाँकि, बिना वैध दस्तावेज़ इतनी बड़ी संख्या का रहना मुश्किल है। शारदा कुकरेजा (ओडिशा), असरी बेगम (बिहार), और नीतूराज सोढ़ी (राजस्थान) जैसे मामले हैं, लेकिन ये सीमित संख्या में हैं।
कितनी भारतीय लड़कियाँ शादी कर पाकिस्तान में रह रही हैं? इसके बारे में भी कोई ठोस आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। भारतीय महिलाओं का पाकिस्तान में विवाह के लिए जाना दुर्लभ है, क्योंकि सांस्कृतिक, धार्मिक, और राजनीतिक बाधाएँ इसकी राह में आती हैं। सानिया मिर्ज़ा और रीना रॉय जैसे कुछ हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं। सानिया ने शोएब मलिक से शादी की थी, लेकिन अब तलाक हो चुका है। रीना रॉय ने मोहसिन खान से शादी की थी, बाद में उनका भी तलाक हो गया।
कहा जाता है कि अनुमानित संख्या कुछ दर्जन से लेकर कुछ सौ भारतीय महिलाएँ शादी के बाद पाकिस्तान में रह रही हो सकती हैं। 2022 की एक रिपोर्ट में ज़िक्र है कि 2021 में 41 भारतीयों ने पाकिस्तानी नागरिकता ली, जिनमें कुछ महिलाएँ थीं।
कुछ ऐसे मामले हैं। हरियाणा की सामिया आरजू पाकिस्तानी क्रिकेटर हसन अली की पत्नी हैं और रीता (अब समीना अब्बास) ज़हीर अब्बास की पत्नी हैं। ये मामले गिनती में बहुत कम हैं।
निशिकांत दुबे का दावा कई मायनों में सही नहीं लगता। 5 लाख की संख्या बिना किसी आधिकारिक स्रोत के बढ़ाचढ़ा कर पेश की गई लगती है। भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा-पार विवाह ऐतिहासिक रूप से सीमित रहे हैं और कड़ी निगरानी के कारण इतनी बड़ी संख्या का बिना दस्तावेज के रहना संभव नहीं लगता है।
यह दावा पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में आया, जिससे इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं से जोड़ा गया। कुछ एक्स पोस्टों और समाचार रिपोर्टों ने इसे पाकिस्तानी साजिश के रूप में प्रचारित किया, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों के ख़िलाफ़ भावनाएँ भड़कने का ख़तरा है।
दावे में पाकिस्तानी महिलाओं को 'आतंकवाद का चेहरा' बताना आपत्तिजनक है। यह लैंगिक और राष्ट्रीय आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है। यह उन महिलाओं के संघर्षों को कमतर करता है जो वीजा और नागरिकता की जटिल प्रक्रियाओं से गुजर रही हैं।
एक्स पर कुछ यूजरों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बनाया, जबकि अन्य ने इसे बिना सबूत का प्रचार बताया। यह दिखाता है कि सोशल मीडिया इस तरह के दावों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
निशिकांत दुबे का दावा कि 5 लाख से अधिक पाकिस्तानी लड़कियाँ भारत में शादी करके रह रही हैं, तथ्यात्मक रूप से पुष्ट नहीं होता है। कोई आधिकारिक डेटा या विश्वसनीय स्रोत इसकी पुष्टि नहीं करता। अनुमान के आधार पर कुछ सौ से कुछ हजार पाकिस्तानी महिलाएँ भारत में शादी के बाद रह रही हो सकती हैं, जिनमें से कई के पास लॉन्ग-टर्म वीजा या नागरिकता के लिए आवेदन हैं।