बढ़ते प्रदूषण और सरकार की लापरवाही के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने गुरुवार 4 दिसंबर को संसद परिसर में प्रदर्शन किया। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है। पीएम मोदी ने 1 दिसंबर को कहा था- मौसम का मज़ा लीजिए। इस पर विपक्ष और भड़का हुआ है।
संसद परिसर में प्रदूषण के खिलाफ विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन
दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई हिस्सों में जहरीली हवा का कहर जारी है। इस बीच, विपक्षी सांसदों ने गुरुवार को संसद के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार पर प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने ऑक्सीजन मास्क पहनकर "मौसम का मजा लीजिए" लिखे बैनर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में मोदी ने संसद के बाहर ये वाक्य कहा था। इसे एक तरह से मौसम को लेकर जनता की चिन्ताओं का मज़ाक उड़ाना माना गया।
प्रदर्शन संसद भवन के मकर द्वार के सामने आयोजित किया गया, जहां कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने केंद्र सरकार से संसद में हवा प्रदूषण पर चर्चा कराने की मांग की। प्रमुख विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष), सोनिया गांधी (कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष), प्रमोद तिवारी, मणिक्कम टैगोर, मनीष तिवारी और विजयकुमार उर्फ विजय वासंथ जैसे सांसद मौजूद रहे।
प्रदर्शन के दौरान सांसदों ने ऑक्सीजन मास्क पहने हुए बैनर दिखाया, जो दिल्ली की जहरीली हवा को गैस चैंबर में तब्दील होने का प्रतीक था। उन्होंने हवा की गुणवत्ता पर संसद मे तत्काल चर्चा की मांग करते हुए नारे लगाए। लोकसभा में विपक्ष के सांसदों मणिक्कम टैगोर, मनीष तिवारी और विजय वासंथ ने लोकसभा महासचिव को नोटिस सौंपा, जिसमें उत्तर भारत की हवा की खराब स्थिति पर चर्चा का अनुरोध किया गया।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने प्रदर्शन के दौरान कहा, "बाहर के लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते... ऐसा लगता है जैसे दिल्ली और कुछ अन्य शहरों को गैस चैंबर में बदल दिया गया हो और नागरिकों को वहीं रखा जा रहा हो। केंद्र में भाजपा सरकार और राज्य सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं।"
वहीं, नोटिस में मणिक्कम टैगोर ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "सरकार लकवाग्रस्त हो चुकी है, जो कार्रवाई के बजाय सलाह जारी कर रही है, समाधान के बजाय समितियां बना रही है, और राष्ट्रीय रणनीति के बजाय नारे लगा रही है। जबकि सबूत जुट चुके हैं कि प्रदूषण कैंसर, किडनी रोग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों और डायबिटीज संबंधी बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। फिर भी यह सरकार प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता घोषित करने से इनकार कर रही है।" उन्होंने "कानून द्वारा समर्थित राष्ट्रीय स्वच्छ हवा मिशन, प्रदूषकों पर सख्त दायित्व, प्रभावित आबादी के लिए आपातकालीन स्वास्थ्य प्रोटोकॉल और समन्वित वैज्ञानिक नीति निर्माण" की मांग की।
विपक्ष ने केंद्र से प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की भी मांग की है। प्रदर्शन शीतकालीन सत्र के चौथे दिन हुआ, जब प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र की शुरुआत में मौसम का जिक्र किया था, जिसका विपक्ष ने यह व्यंग्यात्मक जवाब दिया।
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का आलम
दिल्ली-एनसीआर में हवा का हाल बेहद नाजुक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 4 दिसंबर सुबह 8 बजे दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 299 पर पहुंचा, जो 3 दिसंबर शाम 4 बजे के 342 से थोड़ा बेहतर है, लेकिन अभी भी 'बहुत खराब' श्रेणी में है। शहर के कई इलाकों जैसे गाजीपुर और अक्षरधाम में घनी जहरीली धुंध छाई हुई है, जिससे दृश्यता कम हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह प्रदूषण कैंसर, किडनी रोग और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा रहा है।
विपक्ष का यह प्रदर्शन केंद्र सरकार की प्रदूषण नियंत्रण नीतियों पर सवाल खड़ा करता है, जहां सलाह और समितियों के अलावा कोई ठोस राष्ट्रीय रणनीति नजर नहीं आ रही। संसद सत्र के दौरान यह मुद्दा और गरमा सकता है।