दो महीने पहले जिस शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले के मुद्दे पर भारत ने खुद को अलग कर लिया था, सोमवार को उसके घोषणापत्र में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई। एससीओ के सदस्य देशों ने एक सुर में कहा कि इस तरह के आतंकी हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यह घोषणा भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। यह घोषणा तब की गई जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस शिखर सम्मेलन में मौजूद थे।

चीन के तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सहित कई वैश्विक नेता शामिल हुए। इस सम्मेलन में तियानजिन घोषणापत्र को अपनाया गया। इसमें आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के ख़िलाफ़ एकजुटता दिखाई गई। घोषणापत्र में कहा गया, 'सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। वे मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।'
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घोषणापत्र में यह भी जोर दिया गया कि आतंकवादी, अलगाववादी और उग्रवादी समूहों का राजनीतिक मक़सद के लिए उपयोग मंजूर नहीं है। सदस्य देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और कहा कि आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। 

पहलगाम हमला

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में चार हथियारबंद आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ़ ने ली थी। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है। हमले में मारे गए लोगों में अधिकांश पर्यटक थे और इसे धार्मिक आधार पर निशाना बनाकर अंजाम दिया गया था। आतंकियों का मक़सद जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देना था।
भारत ने इस हमले के जवाब में 6-7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। भारतीय सेना ने दावा किया कि पाकिस्तान ने इस हमले में चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया और चीन ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को खुफिया जानकारी भी दी। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने इस 'पाकिस्तान-चीन साठगांठ' की आलोचना करते हुए सरकार पर निशाना साधा था।
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प्रधानमंत्री बोले- 'डबल स्टैंडर्ड'

एससीओ की साझा घोषणा जारी किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा, 'कुछ देश खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करते हैं। पहलगाम हमला न केवल भारत पर हमला था, बल्कि यह मानवता के लिए एक चुनौती थी। क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य है? हमें एक स्वर में कहना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।'

मोदी ने भारत की चार दशकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने एससीओ सदस्यों से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया।

पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव

तियानजिन घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि पाकिस्तान, जिस पर भारत लंबे समय से आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है, इस घोषणापत्र का हिस्सा है। हालाँकि घोषणापत्र में किसी देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन भारत द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों और मोदी के तीखे बयानों ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ाया है।

एससीओ ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जाफर एक्सप्रेस और खुजदार में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की, जिससे यह संदेश गया कि संगठन आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ है।

तियानजिन घोषणापत्र में 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की थीम को दोहराया गया। इसमें नई दिल्ली में 3-5 अप्रैल 2025 को आयोजित 5वां एससीओ स्टार्टअप फोरम और 21-22 मई 2025 को एससीओ थिंक टैंक फोरम जैसी भारत की पहलों की सराहना की गई। इसके अलावा, भारतीय विश्व मामलों की परिषद में एससीओ अध्ययन केंद्र के सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान को मजबूत करने में योगदान को भी मान्यता दी गई।
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पहले SCO में भारत ने जताई थी नाराज़गी

एससीओ का यह घोषणापत्र भारत के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि जून 2025 में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने पहलगाम हमले का ज़िक्र न होने के कारण संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। उस समय पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में हुए हमलों का उल्लेख शामिल करने पर जोर दिया था, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया था। तियानजिन शिखर सम्मेलन में पहलगाम हमले की निंदा को शामिल करना भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर माना जा रहा है।

एससीओ का तियानजिन घोषणापत्र आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है। पहलगाम हमले की निंदा और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की मांग ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को मजबूती दी है।