पतंजलि कंपनी के मालिक रामदेव और बालकृष्ण
अदालत ने अपने फैसले में विभिन्न बीमारियों के इलाज में इसकी दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में पतंजलि आयुर्वेद के कथित झूठे दावों और विज्ञापनों में गलत बयानी के बारे में सरकार से सवाल करते हुए टिप्पणी की कि पतंजलि देश को गुमराह कर रही है।
शीर्ष अदालत ने इस बीच पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से भी रोक दिया, जो ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 में दी गई बीमारियों से संबंधित हैं। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को मेडिकल की किसी भी प्रणाली के विरोध में कोई भी बयान देने को लेकर आगाह किया। इस मामले पर दो सप्ताह बाद कार्रवाई की जायेगी। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही थी। इसमें टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक अभियान और नकारात्मक विज्ञापनों को नियंत्रित करने की मांग की गई थी।