पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में शनिवार सुबह एक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। 51 वर्षीय टीचर रिंकी तारफदार को उनके आवास पर फंदे से लटका पाया गया। परिवार का दावा है कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) अभियान के भारी काम के दबाव से परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि 'मैं साधारण व्यक्ति हूं, इतना अन्यायपूर्ण काम का बोझ नहीं सह सकती।' 
इसी तरह मध्य प्रदेश के दमोह और रायसेन में भी दो बीएलओ की मौत हुई है। एक लापता बताया जा रहा है। दोनों बीएलए की पहचान रायसेन के रमाकांत पांडेय और दमोह के सीताराम गोंड के रूप में हुई। रायसेन के बीएलए नारायण दास सोनी 6 दिनों से गायब हैं। रमाकांत पांडेय की पत्नी रेखा पांडेय ने आरोप लगाया कि काम का बहुत ज्यादा दबाव की वजह से बीती रात उनकी तबियत बिगड़ी और अस्पताल ले जाते हुए उनकी मौत हो गई। रेखा का आरोप है कि उनके पति को रात-रात भर जागकर इस काम को करना पड़ रहा था।

गुजरात के कापडवंज तालुका के नवापुरा गाँव में एक सरकारी स्कूल के 50 वर्षीय शिक्षक रमेशभाई परमार की जामबुडी गाँव स्थित उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से शुक्रवार को मृत्यु हुई थी। इस तरह जब से SIR शुरू हुआ है, तब से 8 BLOs की मृत्यु हो चुकी है। जिनमें से 3 पश्चिम बंगाल में और एक-एक केरल, राजस्थान और गुजरात में हुई है। एमपी में 2 मौतें हुई हैं। जिनकी मौत हुई है, उनके परिवारों ने दावा किया कि उनकी मौतें SIR के कारण अत्यधिक काम के दबाव से जुड़ी हुई हैं।

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ममता बनर्जी का चुनाव आयोग से सवाल- और कितनी जानें जाएंगी 

कृष्णानगर में शनिवार को बीएलओ, महिला टीचर ने आत्महत्या कर ली, यह जानकर गहरा सदमा लगा है। एसी 82 छपरा के भाग संख्या 201 की बीएलओ, श्रीमती रिंकू तरफदार ने आज (शनिवार) अपने आवास पर आत्महत्या करने से पहले अपने सुसाइड नोट  में चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है। और कितनी जानें जाएँगी? इसके लिए और कितने लोगों को मरना होगा महोदय? इस प्रक्रिया के लिए हमें और कितनी लाशें देखनी पड़ेंगी? यह अब वाकई चिंताजनक हो गया है!!

बंगाल में प्रदर्शन

बीएलओ मुख्य रूप से शिक्षक, संविदा शिक्षक, अंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव, डाकिए, नर्स आदि से चुने जाते हैं। इन्हें फॉर्म भरना, सत्यापन, डिजिटल एंट्री और घर-घर जाकर काम करना पड़ता है। कई बीएलओ ने शिकायत की है कि लंबे काम के घंटे, यात्रा और डेडलाइन का दबाव परिवार को समय नहीं दे पाता। कोलकाता के बेलियाघाटा में सात बीएलओ को डिजिटल एंट्री में चूक के लिए शो-कॉज नोटिस मिला, जो तनाव को और बढ़ा रहा है। पूर्वी वर्धमान के काटवा में बीएलओ ने विरोध प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने 'कितने दिनों तक काम करेंगे', का सवाल उठाया।
ये मौतें न केवल बीएलओ समुदाय को हिला रही हैं, बल्कि मतदाता सूची के संशोधन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रही हैं। ममता ने चेतावनी दी है कि जल्दबाजी से बड़ी त्रुटियां होंगी और आम नागरिकों को कष्ट होगा। गुजरात में प्राइमरी टीचर फेडरेशन ने 1 करोड़ मुआवजे की मांग की है, जबकि उत्तर प्रदेश के पिलीभीत में बीएलओ को प्रोत्साहन के रूप में प्रमाणपत्र और परिवार यात्रा दी जा रही है।

बंगाल के सीईओ का बयान

पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल ने शनिवार को नादिया के ज़िलाधिकारी से एक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) की मौत पर रिपोर्ट मांगी है। प्रशासन के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग यानी ईसीआई ने भी नादिया के ज़िलाधिकारी से फ़ोन पर संपर्क किया है। यह भी बताया गया कि चुनाव आयोग को बुधवार को हुई एक बूथ लेवल अधिकारी की मौत पर जलपाईगुड़ी के ज़िलाधिकारी से अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। सीईओ मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि 99% बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) सुबह से रात तक कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और राज्य में चल रहा मतदाता सूची का पूरा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) उन पर निर्भर है।



अखिलेश यादव ने डेढ़ से दो करोड़ वोट कटने की आशंका जताई

सपा प्रमुख अखिलेश शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश वह राज्य है जहाँ से प्रधानमंत्री चुने गए हैं... अधिकारी किसी और के नियंत्रण में हैं, आप अच्छी तरह समझ सकते हैं कि वे क्या करेंगे। इसलिए, हमारी माँग है कि उत्तर प्रदेश में SIR की समय-सीमा बढ़ाई जाए। (विधानसभा) चुनाव में अभी समय है। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से 50,000 से ज़्यादा नाम हटाने की साज़िश को नाकाम करने के लिए तैयार है।" उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी में जहा-जहां इंडिया गठबंधन जीता है, वहां एक-एक विधानसभा क्षेत्र करीब 50 हजार लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं।

सपा कार्यतकर्ताओं से अखिलेश ने कहा कि अगर कोई लखनऊ में दिखा तो उसकी टिकट काट दी जाएगी। उन्होंने सपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और टिकटार्थियों से कहा है वे अपने-अपने इलाके में जाकर एसआईआर कराएं। कोई शिकायत नहीं आना चाहिए। SIR में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को भी अखिलेश ने चेतावनी दी है। अखिलेश ने कहा कि अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है तो जेल भिजवाने तक नहीं छोड़ा जायेगा । SIR पर अखिलेश बारीकी से नजर रख रहे हैं..इस बार चूक नहीं होगी |

एसआईआर मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन है, जो चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इसका मकसद मतदाता सूची को अपडेट करना है, लेकिन ममता बनर्जी और अखिलेश यादव इसे 'अनियोजित और दमनकारी' बता रही हैं। पहले यह प्रक्रिया तीन साल में पूरी होती थी, लेकिन अब दो महीनों में करने का दबाव है, जो 2026 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले है।

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यह विवाद 2026 चुनाव से पहले राजनीतिक रंग ले चुका है। टीएमसी इसे 'मानवीय त्रासदी' बता रही है, जबकि बीजेपी राज्य सरकार की लापरवाही का आरोप लगा रही है। ईसीआई को अब फैसला लेना होगा। क्या अभियान चलेगा? हालांकि संकेत यही है कि ईसीआई इस अभियान को रोकेगा नहीं।