Umar Khalid Sharjeel Imam Bail Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों की कथित साजिश मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और तीन अन्य की जमानत याचिकाओं को 31 अक्टूबर, 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने आरोपियों को पांच साल से जेल पर चिंता जताई।
उमर खालिद शरजील इमाम आदि को फिर ज़मानत नहीं मिली। ये लोग पांच साल से जेल में हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2020 दिल्ली दंगों से संबंधित कथित बड़ी साजिश मामले में एक्टिविस्ट शरजील इमाम, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद और तीन अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को 31 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया। इसी केस में मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा उर रहमान की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजरिया की बेंच ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगे जाने के बाद सुनवाई टाल दी। हालांकि, बेंच ने टिप्पणी की कि दिल्ली पुलिस को जवाब देने के लिए पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है। अदालत ने कहा, “आप पहली बार पेश हो रहे होंगे, लेकिन हम पहले ही पर्याप्त समय दे चुके हैं।”
ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्टः अभी तक 17 बार इस केस में जमानत याचिका पर सुनवाई टली है और अगली तारीख मिली है।
खंडपीठ ने यह भी कहा, “स्पष्ट रूप से कहा जाए तो जमानत मामलों में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का कोई मतलब नहीं होता।”
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को अपने आदेश में उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि “नागरिकों द्वारा प्रदर्शन या विरोध के नाम पर साजिशपूर्ण हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) और तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर फरवरी 2020 के दंगों के “मास्टरमाइंड” होने का आरोप है, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक लोग घायल हुए।
पांच साल से जेल में हैं याचिकाकर्ता, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
Bar and Bench लॉ साइट के मुताबिक वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले पांच साल से जेल में हैं। इस पर जस्टिस अरविन्द कुमार ने निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को की जाए और एएसजी को उचित निर्देश प्राप्त करने को कहा। उन्होंने कहा, “कृपया अपने सहयोगियों से उचित निर्देश लें, और एएसजी राजू, देखें कि आप कुछ समाधान निकाल सकते हैं।”
एएसजी एस.वी. राजू ने जवाब दिया कि वह रिकॉर्ड की समीक्षा करेंगे और कहा, “कभी-कभी जो दिखता है, वह वास्तव में मौजूद चीजों से अलग हो सकता है।”
जस्टिस कुमार ने टिप्पणी की, “पांच साल पूरे हो चुके हैं।”
एएसजी एस.वी. राजू ने जब जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। तो याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जब मामला पहले ही देरी से संबंधित है, तो इसे और देरी का सामना नहीं करना चाहिए।
जस्टिस अरविंद कुमार ने एएसजी को याद दिलाया कि “पिछली बार हमने नोटिस जारी किया था और स्पष्ट रूप से कहा था कि मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी और इसका निपटारा किया जाएगा।”
पुलिस ने मुझे निशाना बनाया: उमर खालिद
9 अक्टूबर को उमर खालिद ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया था कि 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित कथित बड़ी साजिश मामले में पुलिस ने उन्हें “निशाना” बनाया, जबकि “बड़े रोल” वाले कई लोग आरोपित नहीं किए गए। 17 अक्टूबर को खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की कोर्ट में कहा था कि उनके खिलाफ कोई “ठोस सबूत” नहीं है और पुलिस का आरोप पत्र केवल घटना के महीनों बाद दर्ज किए गए बयानों पर आधारित है। बता दें कि फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों में 53 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोग विस्थापित हुए थे।
तारीख पर तारीख का आंकड़ा क्या कहता है
उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिका का मामला 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े षड्यंत्र केस (UAPA के तहत) से संबंधित है। वे सितंबर 2020 से जेल में हैं। उनकी जमानत याचिका की सुनवाई का सफर दो चरणों में बंटा हुआ है:
पहला चरण (मई 2023 से फरवरी 2024 तक): सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में नोटिस जारी किया था।
फरवरी 2024 तक, याचिका 14 बार स्थगित हो चुकी थी (कुल 11 महीनों में)। इसमें कोर्ट की ओर से 6 स्थगन और बचाव पक्ष की ओर से 4 स्थगन शामिल थे।
फरवरी 2024 में उमर खालिद ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देकर याचिका वापस ले ली थी, ताकि ट्रायल कोर्ट में प्रयास किया जा सके।
दूसरा चरण (सितंबर 2025 से अक्टूबर 2025 तक): दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितंबर 2025 को जमानत याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की गई (सितंबर 2025 में)।
- सितंबर 2025: सुनवाई 19 सितंबर को तय थी, लेकिन स्थगित हो गई। 22 सितंबर को नोटिस जारी हुआ और अगली सुनवाई 7 अक्टूबर तय की गई (1 स्थगन)।
- अक्टूबर 2025: 7 अक्टूबर की सुनवाई 27 अक्टूबर को टाली गई (1 स्थगन)।
- 27 अक्टूबर 2025: दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक स्थगित (1 स्थगन)।
कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई कि पर्याप्त समय पहले ही दिया जा चुका है।
कुल स्थगन इस चरण में (अब तक): कम से कम 3 बार।
कुल स्थगन (अब तक)
पहले चरण सहित कुल: 14 + 3 = 17 बार।
उमर खालिद और शरजील इमाम 2020 से जेल में हैं। दिल्ली पुलिस अदालत में कहती रही है कि शरजील इमाम ने अलीगढ़, आसनसोल और चकंद में भड़काऊ भाषण दिए, जबकि खालिद ने 17 फरवरी, 2020 को अमरावती में भाषण दिया। जिसमें 24 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान विरोध का आह्वान किया गया था। हालांकि, उमर खालिद ने हाई कोर्ट के सामने तर्क दिया कि उनकी किसी भी बैठक में हिंसा की योजना नहीं बनाई गई थी, और उनकी लंबी हिरासत ने जमानत को नियम और जेल को अपवाद के सिद्धांत का उल्लंघन किया। उन्होंने सह-छात्र कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें भी उसी आधार पर जमानत मिलनी चाहिए। उन लोगों को 2021 में जमानत मिली थी।
शरजील इमाम ने जोर दिया था कि वह जनवरी 2020 से हिरासत में हैं, जो दंगों से हफ्तों पहले की बात है। उनके भाषणों का हिंसा से कोई संबंध नहीं था। हालांकि, हाई कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि इस केस में जिन सह आरोपियों को जमानत मिली थी, उनकी सीमित भूमिका के विपरीत, इमाम और खालिद की भागीदारी पहली नज़र में ज्यादा गंभीर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हालांकि विरोध का अधिकार सुरक्षित है, लेकिन प्रदर्शनों की आड़ में षड्यंत्रकारी हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती।