अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 1 अक्टूबर से 100 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले ने भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को हिलाकर रख दिया है। दुनिया को सस्ती जेनेरिक दवाओं की सप्लाई करने वाले भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' कहा जाता है। अमेरिकी बाजार में सबसे बड़ा निर्यात भारत का है। यह टैरिफ न केवल भारत के 30 अरब डॉलर के दवा निर्यात उद्योग को झटका दे सकता है, बल्कि अमेरिका में दवाओं की कमी और कीमतों में वृद्धि को भी जन्म दे सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी हेल्थ सिस्टम को सालाना 200 अरब डॉलर के नुकसान का सामना करने पर मजबूर कर सकता है।