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गायों के ‘मसीहा’ बनने की जुगत में कमलनाथ!

देश में सबसे बड़ा गाय प्रेमी राजनेता कौन? इस ‘दौड़’ में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सबसे आगे निकलने की जुगत में हैं, यह बात हम नहीं कह रहे हैं। यह ‘सुगबुगाहट’ तो मध्य प्रदेश में गो संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करने वालों के बीच है। मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार ने गाय को ‘बचाने’ के लिए हाल ही में कई ताबड़तोड़ फ़ैसले लिए हैं। इन फ़ैसलों में मध्य प्रदेश में 300 स्मार्ट गो शालाएँ खोलने का ताज़ा निर्णय भी शामिल है। गाय भारतीय राजनीति का बड़ा केन्द्र बिन्दु है, यही वजह है कि कमलनाथ और उनकी सरकार गो संवर्धन और गो संरक्षण से जुड़े ‘निर्णयों’ को लेकर इन दिनों ख़ासी चर्चाओं में है।
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बता दें कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में देश का पहला गो अभ्यारण्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले में 2017 में आरंभ हुआ था। कुल 472 हैक्टेयर क्षेत्र में 32 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किये गये इस अभ्यारण्य की शुरुआत पर मुख्यमंत्री चौहान और बीजेपी की सरकार की जमकर तारीफ़ हुई थी। यह अभ्यारण्य कुल 6 हज़ार गायों की देखरेख की क्षमता वाला था। इसी तरह के अन्य अभ्यारण्यों की स्थापना की मंशा शिवराज सरकार की थी।
आगर-मालवा के गो अभ्यारण्य को लेकर मिली प्रशंसा के बाद शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव 2018 के ठीक पहले गो मंत्रालय की स्थापना की घोषणा कर ख़ूब सुर्खियाँ बटोरी थीं।

शिवराज के गो मंत्रालय वाले ‘दाँव’ और बीजेपी के गाय प्रेम को राजनीतिक पटखनी देने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार बनने पर गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य की हर ग्राम पंचायत में गो शाला खोलने और इनके संचालन के लिए अनुदान देने का वादा किया था। 

देश में गाय पर राजनीति गर्माई हुई है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार गो वंश के संरक्षण और संवर्धन से जुड़ी घोषणाओं एवं फ़ैसलों को लेकर काफ़ी वक़्त से चर्चाओं में है।

इधर, सरकार बन जाने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ गो वंश से जुड़े एक के बाद एक अपने निर्णयों की वजह से गो वंश को लेकर अत्यधिक संवेदनशीलता और प्रेम दिखलाने वाली उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से न केवल आगे निकलते दिखलाई पड़े हैं। बल्कि कमलनाथ सरकार बीजेपी शासित हरेक सूबे के साथ केन्द्र की मोदी सरकार को भी ‘गो वंश प्रेम’ में पीछे छोड़ती दिखाई पड़ रही है।
नाथ सरकार ने छह महीने के कार्यकाल में ही प्रदेश भर में एक हज़ार नई गो शालाएँ खोलने का न केवल निर्णय लिया है, बल्कि इस दिशा में कार्य भी आरंभ कर दिया है। गो शालाओं के लिए चार रुपये प्रति गाय के हिसाब से दी जाने वाली चारे की राशि को बढ़ाकर 20 रुपये प्रति गाय प्रतिदिन कर दिया गया है। 
कमलनाथ सरकार का सबसे अहम और ताज़ा निर्णय 300 स्मार्ट गो शालाएँ खोलने का है। गो शालाएँ लगाने की इच्छुक संस्थाओं और व्यक्तियों को मुफ़्त ज़मीन देने का निर्णय भी कमलनाथ सरकार कर चुकी है। इस फ़ैसले के अनुसार मुफ़्त ज़मीन का उपयोग केवल गो शालाओं भर के लिए किया जा सकेगा, इसके इतर उपयोग करने पर आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा।

एक अन्य अहम निर्णय गायों को मृत्यु के बाद दफनाने को लेकर हुआ है। यदि कहीं मृत गाय मिली तो संबंधित व्यक्ति या संस्था पर कार्रवाई का प्रावधान भी सरकार ने किया है। ऐसी सूरत में (मृत्यु के बाद गाय के शव की फजीहत होते पाये जाने पर) गो पालक संस्थाओं का पंजीयन निरस्त करने का निर्णय भी सरकार ले चुकी है।

कमलनाथ सरकार के ‘गो-प्रेम’ से जुड़े प्रत्येक निर्णय से संस्थाएँ और गो प्रेमी ख़ासे ख़ुश हैं। मगर नाथ सरकार के फ़ैसलों पर सवाल उठाने में भी लोग पीछे नहीं हैं।
आगर-मालवा जिले की सुसनेर सीट से 2013 से 2018 तक बीजेपी के विधायक रहे मुरलीधर पाटीदार का कहना है, ‘मेरे जिले में लगे देश के पहले गो अभ्यारण्य की हालत बीजेपी की सरकार चले जाने के बाद से बेहद खस्ता है। बीती ठंड में एक ही दिन में लगभग 100 गायों की मौतें इस अभ्यारण्य में हुई हैं। गायों के लिए समुचित चारा और भरपूर पानी निरंतर समस्या बना हुआ है। भरपेट चारे और पानी के अभाव में भी गायें लगातार मर रही हैं। ऐसे में नाथ सरकार सबसे पहले इस अभ्यारण्य की सुध लेती तो ज़्यादा अच्छा होता।’

नाथ सरकार के फ़ैसलों पर पाटीदार यह तंज भी कसते हैं - ‘गाय की पूँछ पकड़कर चुनावी राजनीति की वैतरणी पार करने की जुगतबाज़ी के बजाय ठोस क़दम उठाए जाएँ तो वास्तव में वह सच्ची गो सेवा होगी।’पाटीदार कहते हैं, ‘सरकारी अथवा कांट्रेक्ट के कर्मचारियों भर के भरोसे रहकर गायों को बचाया जाना संभव नहीं होगा। ऐसे सेवकों की फ़ौज़ खड़ी करनी होगी जो वास्तव में गाय प्रेमी हैं।’ 

पाटीदार चार-चार, पाँच-पाँच गाँवों के समूह बनाकर पूरी व्यवस्था स्थानीय गो सेवकों के हवाले करने के पक्षधर हैं। बकौल पाटीदार, ‘मैंने शिवराज सरकार में इस तरह का प्रस्ताव पेश किया था। डीपीआर बन गयी थी। योजना परवान चढ़ पाती, इसके पहले सरकार चली गई।’

दो करोड़ गो वंश, 10 लाख दुधारू गायें

मध्य प्रदेश में दो करोड़ के लगभग गो वंश हैं। दुधारू गायों की संख्या 10 लाख से ज़्यादा है। कुल 1296 पंजीकृत गो शालाएँ प्रदेश में हैं। इनमें भी क्रियाशील महज 614 ही हैं। क्रियाशील गो शालाओं में डेढ़ लाख के लगभग गायों का संरक्षण और संवर्धन हो पा रहा है। ऐसे हालात में जानकार कमलनाथ सरकार के प्रयासों को एक अच्छी पहल मान रहे हैं। जानकारों का कहना है, ‘महज योजनाएँ बनाने से काम चलने वाला नहीं है। धरातल पर अमल होगा तभी सरकार के प्रयास सार्थक सिद्ध हो सकेंगे।’
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आदर्श बनेगा हमारा मॉडल: सिंह

मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह कहते हैं, ‘कमलनाथ सरकार का गो संवर्धन और संरक्षण मॉडल देश के लिए आदर्श बनेगा।’ सिंह के अनुसार, स्मार्ट गो-शालाएँ लगाने के लिए जो विदेशी कंपनी आगे आयी है, उसे हम ज़मीन मुफ़्त देने वाले हैं। हमने कंपनी से पूरी कार्ययोजना बनवा ली है। कंपनी हर वर्ष 60 गो शालाएँ स्थापित करेगी। पाँच सालों में 300 स्मार्ट गो शालाएँ मध्य प्रदेश में स्थापित की जाएँगी। बहुत शीघ्र कंपनी के साथ एमओयू कर लिया जाएगा।
कंपनी गो संवर्धन और संरक्षण के अलावा गायों के सोने, खाने और स्वछंद घूमने की व्यवस्थाएँ भी करेगी। गो मूत्र और गोबर के अलावा गाय की पूँछ के विशेष बालों को एक्सपोर्ट करने की भी कंपनी की योजना है। पशुपालन मंत्री विश्वास जताते हुए यह भी दावा कर रहे हैं कि, ‘यह बिजनेस मॉडल गो संवर्धन और संरक्षण के लिए देश को एक नई दिशा देने वाला और कमलनाथ सरकार का क्रांतिकारी क़दम साबित होगा।’
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संजीव श्रीवास्तव
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