भाषा विवाद को लेकर एमएनएस के प्रदर्शन में उस वक्त हंगामा हो गया जब एक शिवसेना मंत्री रैली में पहुंचे। समर्थकों ने उन्हें मंच से उतार दिया और वापस भेज दिया। जानिए इस टकराव के पीछे की राजनीतिक पृष्ठभूमि।
महाराष्ट्र के ठाणे में मराठी अस्मिता की जंग पर विवाद और तेज हो गया है। एमएनएस कार्यकर्ताओं के जिस प्रदर्शन को फडणवीस सरकार ने मंजूरी तक नहीं दी, उसमें शामिल होने फडणवीस के एक मंत्री पहुँच गए। इस पर और हंगामा हुआ। एमएनएस की रैली में शिवसेना मंत्री प्रताप सरनाईक को 'गद्दार' कहकर भगा दिया गया। आखिर क्या है इस सियासी ड्रामे की पूरी कहानी? आइए हम आपको बताते हैं।
दरअसल, मराठी भाषा बोलने को लेकर एमएनएस द्वारा की गई मारपीट के ख़िलाफ़ हाल में हुए विरोध-प्रदर्शन के जवाब में एमएनएस ने मंगलवार को पुणे में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। लेकिन सरकार से इस प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं मिली। इसके बावजूद एमएनएस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और रैली निकाली।
मराठी एकीकरण समिति के बैनर तले आयोजित की गई इस रैली का मक़सद मराठी भाषा और अस्मिता की रक्षा के लिए प्रदर्शन करना था। हालाँकि, एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जब शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्री प्रताप बाबुराव सरनाईक ने रैली में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन एमएनएस कार्यकर्ताओं ने उन्हें 'गद्दार' कहकर अपमानित किया और प्रदर्शन स्थल से भगा दिया।
भाषा बोलेने को लेकर क्या है यह पूरा विवाद
यह पूरा विवाद हाल ही में हुए एक 'स्लैपगेट' मामले से शुरू हुआ, जिसमें एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मीरा रोड पर एक खाद्य स्टॉल मालिक बाबूलाल चौधरी को कथित तौर पर इसलिए थप्पड़ मारा, क्योंकि उनके कर्मचारी ने हिंदी में बात की थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद व्यापारियों ने इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। एमएनएस ने इस विरोध के जवाब में मराठी अस्मिता के समर्थन में मंगलवार को ठाणे के मीरा-भायंदर में एक रैली का आयोजन किया।
रैली पर पुलिस की कार्रवाई
रैली से पहले ही पुलिस ने कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए इसे अनुमति देने से इनकार कर दिया। सुबह-सुबह एमएनएस के ठाणे प्रमुख अविनाश जाधव सहित कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। मीरा रोड के एमएनएस नेता संदीप राणे को भी निष्कासन नोटिस जारी किया गया। पुलिस ने भारी तैनाती की और सभा पर रोक लगाने के आदेश जारी किए। इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए प्रदर्शनकारियों ने सरकार और पुलिस के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की, जिसमें उन्होंने पूछा, 'क्या यह महाराष्ट्र की सरकार है या किसी अन्य राज्य की?'
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ़ किया कि रैली के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन एमएनएस द्वारा चुना गया मार्ग क़ानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा पैदा कर सकता था।
उन्होंने कहा, 'अगर वे सही मार्ग के लिए अनुमति मांगते तो हम आज और कल भी अनुमति देते।' फडणवीस ने यह भी जोड़ा कि मराठी लोग उदार हृदय वाले हैं और छत्रपति शिवाजी महाराज की एकता की भावना का सम्मान करते हैं।
प्रताप सरनाईक का हस्तक्षेप और अपमान
इस बीच, शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्री और ठाणे के ओवाला-मजिवाडा से विधायक प्रताप सरनाईक ने रैली में शामिल होने का फ़ैसला किया। यह रैली उनकी अपनी सरकार के ख़िलाफ़ थी। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को ग़लत और सरकारी निर्देशों के विपरीत करार दिया।
ठाणे में पत्रकारों से बात करते हुए सरनाईक ने कहा, 'पुलिस का यह रवैया पूरी तरह ग़लत है। सरकार ने मराठी हितों के समर्थन में शांतिपूर्ण मोर्चा दबाने का कोई निर्देश नहीं दिया। मैं इस मामले को मुख्यमंत्री के साथ उठाऊंगा।' सरनाईक ने यह भी कहा कि अगर मराठी भाषी लोगों ने शांतिपूर्ण मोर्चा निकालने की अनुमति मांगी थी, तो पुलिस को इसे अनुमति देनी चाहिए थी। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, 'मैं रैली में शामिल हो रहा हूं, अगर पुलिस में हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करे।'
हालाँकि, जब सरनाईक प्रदर्शन स्थल पर पहुँचे तो एमएनएस कार्यकर्ताओं और ठाकरे समर्थकों ने उन्हें 'गद्दार' कहकर अपमानित किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन पर मराठी हितों के ख़िलाफ़ बोलने का आरोप लगाया। सरनाईक ने समझाने की कोशिश की कि वह हमेशा मराठी लोगों के साथ खड़े हैं, लेकिन भीड़ ने उन्हें सुनने से इनकार कर दिया और उन्हें प्रदर्शन स्थल छोड़ने के लिए मजबूर किया। यह घटना सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बन गई।
सियासी प्रतिक्रियाएँ
इस घटना ने महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में दरार की ओर इशारा किया। एक तरफ़, मुख्यमंत्री फडणवीस ने पुलिस की कार्रवाई का बचाव किया, वहीं उनकी अपनी सरकार के मंत्री सरनाईक ने इसकी आलोचना की। वहीं, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के कार्यकर्ताओं ने भी इस रैली में हिस्सा लिया, जिससे मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एक व्यापक समर्थन दिखाई दिया। एनसीपी (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड ने पुलिस पर लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने का आरोप लगाया और कार्रवाई की मांग की।
ठाकरे भाइयों की एकता
बता दें कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने हाल ही में 20 साल बाद मुंबई में एक संयुक्त रैली में मंच साझा किया था। यह रैली प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के सरकारी फ़ैसले को वापस लेने की जीत के उपलक्ष्य में थी। इस पुनर्मिलन ने आगामी बीएमसी चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों को हवा दी। हालाँकि, सरनाईक ने इस गठबंधन को सत्ता की लालसा से प्रेरित बताकर आलोचना की थी।