पिछले लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में दावा किया था कि उनकी सरकार अस्सी करोड़ लोगों को मुफ़्त अनाज देती है, ऐेसे में जो उन्हें वोट नहीं देगा उसे पुण्य नहीं मिलेगा। पुण्य-पाप की बात अपनी जगह लेकिन पीएम मोदी ने स्वीकार किया था कि उनके शासन के दसवें साल भी अस्सी करोड़ लोग सरकार से मिलने वाले मुफ़्त अनाज पर निर्भर हैं। 


इस ग़रीबी ने बड़े पैमाने पर असमानता पैदा की है जिसकी बात विपक्ष ही नहीं, नितिन गड़करी जैसे केंद्रीय मंत्री भी कर रहे हैं। लेकिन प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत आय असमानता को कम करने में दुनिया का चौथा ‘सबसे समान देश’ बन गया है। क्या ये दोनों बातें एक साथ सच हो सकती हैं?