महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पिंपरी-चिंचवड नगर निगम चुनावों के लिए अपने चाचा शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के साथ गठबंधन की घोषणा की है। 2023 में विभाजन के बाद पवार परिवार फिर से एकजुट हुआ है।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दो गुटों शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की है। यह फैसला 2023 के पार्टी विभाजन के दो साल से अधिक समय बाद आया है, जब परिवारिक और राजनीतिक मतभेदों ने एनसीपी को दो हिस्सों में बांट दिया था। हालांकि दोनों तरफ से अभी बीएमसी को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई है। समझा जाता है कि शरद पवार कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस अजित पवार की वजह से तैयार नहीं है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीएमसी चुनाव में भी चाचा-भतीजा फिर से एकजुटता दिखा सकते हैं।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को एक चुनावी रैली में इस गठबंधन का ऐलान किया। उन्होंने कहा, "पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनाव के लिए 'घड़ी' और 'तुतारी' (ट्रंपेट) एक साथ आ गए हैं। परिवार फिर से एकजुट हो गया है।" यहां 'घड़ी' अजित पवार गुट का चुनाव चिन्ह है, जिसे चुनाव आयोग ने मूल एनसीपी के रूप में मान्यता दी थी, जबकि 'तुतारी' शरद पवार गुट का प्रतीक है।
परिवारिक झगड़े की पृष्ठभूमि
एनसीपी की स्थापना 1999 में शरद पवार ने की थी। 2023 में अजित पवार ने कई वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी छोड़कर भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन कर लिया। अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इस विभाजन के पीछे मुख्य कारण शरद पवार की उम्र और नेतृत्व को लेकर मतभेद थे। अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से कहा था, "अन्य पार्टियों में नेता एक निश्चित उम्र के बाद रिटायर हो जाते हैं। भाजपा में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट है। आप कब रुकेंगे? नई पीढ़ी को मौका दें।"
शरद पवार ने जवाब दिया कि वे "82 हों या 92, अभी भी प्रभावी हैं"। अजित पवार ने विभाजन को महाराष्ट्र की स्थिरता और विकास के लिए जरूरी बताया, न कि सत्ता के लिए। हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव के बाद अजित पवार ने स्वीकार किया कि परिवार से अलग होना "गलती" थी, क्योंकि समाज परिवार टूटने को स्वीकार नहीं करता।
2024 लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दोनों गुट अलग-अलग लड़े। शरद पवार गुट को झटके लगे, जबकि अजित पवार गुट ने बेहतर प्रदर्शन किया।
यह गठबंधन स्थानीय निकाय चुनाव तक सीमित लग रहा है, लेकिन यह पवार परिवार की एकजुटता का संकेत है। अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास के लिए ऐसे फैसले जरूरी हैं। सीट बंटवारे पर चर्चा जारी है। पुणे नगर निगम चुनावों के लिए भी दोनों गुटों में बातचीत की खबरें हैं, हालांकि वहां बातचीत रुकी हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम दोनों गुटों के लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर पवार परिवार के गढ़ पुणे क्षेत्र में। भाजपा नेता नवनीत राणा ने इसे सकारात्मक बताया और उम्मीद जताई कि शरद पवार भी जल्द एनडीए में शामिल हो सकते हैं। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की बदलती राजनीति का हिस्सा है, जहां गठबंधनों के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। पिंपरी-चिंचवड़ चुनाव इस नए गठबंधन की पहली परीक्षा होंगे।