महाराष्ट्र में चुनाव आते ही दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए हर पार्टी दाँव चलने लगती है। सिर्फ़ मुख्यधारा की पार्टियाँ ही नहीं दलितों के नाम पर पार्टियाँ चलाने वाले दलित नेता भी मोलभाव के लिए तैयार हो जाते हैं और इस मोलभाव में ‘उन्हें क्या मिलेगा’ के फ़ॉर्मूले पर गठबंधन में अपनी जगह तलाशने लगते हैं। ऐसे में ना तो भीमा-कोरेगाँव की जैसी घटना आड़े आती है और न ही एससी-एसटी एक्ट में बदलाव जैसी कोई बात। लेकिन क्या इस बार मराठा नेता शरद पवार इन दलित नेताओं का एक मंच तैयार कर पाने में सफल हो पाएँगे, जैसा उन्होंने साल 1998 के लोकसभा चुनाव में किया था।
महाराष्ट्र में दलित वोटों पर नज़र, क्या 1998 को दोहरा पाएँगे पवार?
- महाराष्ट्र
- |
- |
- 25 Feb, 2019

क्या इस बार मराठा नेता शरद पवार दलित नेताओं का एक मंच तैयार कर पाने में सफल हो पाएँगे, जैसा उन्होंने साल 1998 के लोकसभा चुनाव में किया था।