महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की ओर से दायर संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है और अदालत मंगलवार सुबह आदेश सुनाएगी। सोमवार को सुनवाई की शुरुआत में सबसे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यपाल की चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान राज्यपाल के अधिकारों का हवाला दिया है। तुषार मेहता ने कहा कि जवाब दाख़िल करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए क्योंकि कुछ सवालों पर चर्चा करने की ज़रूरत है। तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को अजीत पवार की ओर से 22 नवंबर को 54 विधायकों के समर्थन का पत्र मिला था। इस पत्र में लिखा था कि अजीत पवार विधायक दल के नेता हैं। उन्होंने कहा कि पत्र में सभी 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे और अजीत पवार को इनका समर्थन हासिल था।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा और राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कहा। राज्यपाल ने अपने अधिकारों के तहत सबसे बड़ी पार्टी के दल के नेता को आमंत्रित किया। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि देवेंद्र फडणवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है।
एनसीपी के बाग़ी नेता अजीत पवार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उनके पास 54 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी है। अधिवक्ता ने कहा कि एनसीपी के सभी विधायक अजीत पवार के साथ हैं।
मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधानसभा की कुछ परंपराएं होती हैं और अदालत 24 घंटे में फ़्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दे सकती है। उन्होंने कहा कि फडणवीस 170 विधायकों के समर्थन के साथ ही राज्यपाल के पास गए थे।
इस मामले में रविवार को भी सुनवाई हुई थी। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जबकि तीनों पार्टियों की ओर से कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं।
रविवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था। अदालत ने कहा था कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सोमवार सुबह 10.30 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीजेपी को सरकार बनाने के निमंत्रण का पत्र और विधायकों के समर्थन वाला पत्र अदालत के सामने प्रस्तुत करें।
रविवार को सुनवाई की शुरुआत करते हुए कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा था कि राज्य में चुनाव से पहले बने गठबंधन के टूटने के बाद हम लोग दूसरा गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सिब्बल ने अदालत से कहा था कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी केंद्र के निर्देश पर काम कर रहे हैं और शिवसेना को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ़ 24 घंटे का वक्त दिया गया।
इसके बाद दूसरे अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा था कि जब शाम को 7 बजे यह घोषणा की गई थी कि हम सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हैं तो क्या राज्यपाल थोड़ा इंतजार नहीं कर सकते थे। सिंघवी ने अपनी दलील में कहा था कि सदन में बहुमत साबित करना ही उपयुक्त है और इस दौरान उन्होंने गोवा, उत्तराखंड के मामलों का भी जिक्र किया था।
सिंघवी ने दलील के दौरान 1998 में उत्तर प्रदेश के मामले में या 2018 में कर्नाटक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों की बात कही थी और कहा था कि रविवार को ही फ़्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए। सिंघवी ने कहा था कि यह कैसे हो सकता है कि कल कोई शपथ ले और बहुमत का दावा करे और आज वह फ़्लोर टेस्ट से दूर जाने की कोशिश करे।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राज्यपाल के आदेश में कुछ भी ग़लत नहीं है। रोहतगी ने कहा था कि अदालत को फ़्लोर टेस्ट के लिए तारीख़ तय करने के बारे में आदेश नहीं देना चाहिए।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने की चर्चाओं के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को शनिवार को डिप्टी सीएम के पद की शपथ दिला दी थी और इसके बाद राज्य में दिन भर सियासी हंगामा चला था। पहले ख़बरें आईं थी कि अजीत पवार के साथ 22 विधायक हैं लेकिन अब एनसीपी का कहना है कि सभी विधायक पार्टी में वापस लौट आएंगे।