शारदा सिन्हा, भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत की अविस्मरणीय आवाज़, आज हमारे बीच नहीं हैं। उनके निधन ने संगीत की एक ऐसी धारा को खो दिया है, जिसका रिक्त स्थान शायद कभी भरा न जा सके। उनका संगीत न केवल सुरों की गूँज था, बल्कि एक संस्कृति की पहचान, एक समाज की आत्मा थी। शारदा जी का संगीत हमारे लोक जीवन, उसकी संवेदनाओं और उसकी पहचान को दुनिया तक पहुँचाने का अद्वितीय माध्यम था। वे भोजपुरी और मैथिली गीतों की देवी मानी जाती थीं, और उनकी आवाज़ में वह शक्ति थी जो सीधे दिलों को छू जाती थी।
शारदा सिन्हा: लोक संगीत की अविस्मरणीय आवाज़
- श्रद्धांजलि
- |
- |
- 6 Nov, 2024

"छठ के गीत" के लिए विख्यात भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत की अविस्मरणीय आवाज़ शारदा सिन्हा का निधन हो गया। जानिए, उनको लोकगायिका विजया भारती कैसे याद करती हैं।
उनके गीतों का जादू इतना प्रभावशाली था कि उनके बिना भोजपुरी समाज की छवि अधूरी लगने लगी थी। फौजी पतियों के लिए "पनिया के जहाज से पलटनिया" जैसे उनके गीत न केवल भोजपुरी लोक संगीत के प्रतिनिधि बन गए, बल्कि उन गीतों में निहित प्रेम, पीड़ा और संघर्ष की संवेदनाएँ आज भी हर घर में गूँजती हैं। यह गीत न केवल एक सामाजिक सन्देश था, बल्कि यह उस समय की व्यथा और प्रेम को सरलता और मासूमियत के साथ व्यक्त करता था। शारदा जी की आवाज़ ने उस गीत को अमर कर दिया।