दिल्ली हिंसा सोची-समझी बड़ी साज़िश का हिस्सा है। बड़ी साज़िश मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जिस तरह के हथियार इस्तेमाल किए गए वह अचानक एकत्रित नहीं हो सकते। इसकी तैयारी काफ़ी दिनों से की जा रही होगी। हालाँकि अभी यह जाँच का विषय है लेकिन वर्तमान हालात बड़ी साज़िश का संकेत दे रहे हैं। अब सवाल यह कि इस साज़िश का सुराग क्यों नहीं लगा?
इसका मतलब साफ़ है कि दिल्ली हिंसा सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है। साज़िश भी छोटी नहीं काफ़ी बड़ी। मेरी इस बात की पुष्टि पत्थरों के ढेर, कारतूसों के खोखे, बोतल बम, तेज़ाब आदि तो कर ही रहे हैं, हमालावरों के शिकार हुए लोगों की चोटें और हमला करने के तरीक़े भी कर रहे हैं।