सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि देश को अब कोरोना के वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। लेकिन इस सवाल का उत्तर अब किससे माँगा जाए कि महामारी के संकट से निपटने के दौरान सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन और प्रवासी मज़दूरों सहित नागरिकों द्वारा भुगते गए कष्टों की जवाबदेही तय करने लिए कोई सदन 2024 के चुनावों के पहले देश को उपलब्ध होगा भी कि नहीं?
चूँकि महामारी के साथ जीने की आदत का सम्बंध अनुशासनपूर्वक सोशल या फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग का पालन करने से है, तो फिर नागरिकों को लॉकडाउन के प्रतिबंधों के साथ-साथ यह भी मानकर चलना चाहिए कि आने वाले एक लम्बे समय तक संसद और विधान सभाओं की बैठकें भी नहीं हो पाएँगी।