भारत में किसी भी पार्टी का प्रधानमंत्री हो, सभी शहीद उसके लिए तो एक समान ही होने चाहिए। कांग्रेसी-काल और भाजपा-काल के शहीदों में फर्क करना और उनके लिए अलग-अलग स्मारक खड़े करना कहाँ तक ठीक है?
इस महाज्योति में अब उन 3843 जवानों के नाम भी शिलालेख पर लिखे जाएंगे, जिनका बांग्लादेश में बलिदान हुआ था। पहले ये नाम नहीं लिखे गए थे।