घर लौट रहे मज़दूरों से बात करते राहुल गाँधी (फ़ाइल फ़ोटो)
प्रधानमंत्री मोदी अगर सार्वजनिक जीवन में अपनी 2014 की आक्रामक चुनावी छवि से सफलतापूर्वक बाहर आकर दुनिया के बड़े नेताओं के बीच जगह बना रहे हैं तो फिर देश की इतनी गम्भीर और योग्य वित्त मंत्री राहुल में एक ‘ड्रामेबाज़’ और उनकी पार्टी के नेता ‘पप्पू’ की इमेज ही क्यों देखना चाहती हैं? कोई तो कारण होना चाहिए!
वित्त मंत्री की अपेक्षा के बाद एक ऐसे राहुल गाँधी की कल्पना की जानी चाहिए जो एक हाथ से किसी मज़दूर का सूटकेस ‘carry’ कर रहे हैं और दूसरे में किसी बच्चे को उठाए हुए हैं और पैदल चलते हुए उनसे उनके दुःख-दर्द की बातें भी करते जा रहे हैं।