केंद्र सरकार के बनाए तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जारी किसान आंदोलन में दिल्ली का ऐतिहासिक लाल क़िला भी चर्चा में आ गया है। कृषि सुधार के नाम पर बनाए गए तीनों क़ानूनों को अपने लिए 'डेथ वारंट’ मान रहे किसानों की ट्रैक्टर रैली में 26 जनवरी को कुछ जगह उपद्रव होने की ख़बरों के बीच सबसे ज़्यादा फोकस इस बात पर रहा कि कुछ लोगों ने लाल क़िले पर तिरंगे के बजाय दूसरा झंडा फहरा दिया।

किसान आंदोलन में दिल्ली का ऐतिहासिक लाल क़िला भी चर्चा में आ गया है। कुछ जगह उपद्रव होने की ख़बरों के बीच सबसे ज़्यादा फोकस इस बात पर रहा कि कुछ लोगों ने लाल क़िले पर तिरंगे के बजाय दूसरा झंडा फहरा दिया।
इस घटना से मीडिया के उस बड़े हिस्से की बाँछें खिल गईं जो इस किसान आंदोलन को शुरू दिन से ही सरकार के सुर में सुर मिलाकर बदनाम करने में जुटा हुआ है। जो लोग मुग़ल शासकों के बनाए लाल क़िले के प्रति हिकारत का भाव रखते आए हैं, उनके लिए भी इस घटना से यह ऐतिहासिक धरोहर अचानक राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गई।
हालाँकि यह सही है कि लाल क़िले पर जो कुछ हुआ, वह नहीं होना चाहिए था।