ब्राह्मण के समर्थन से कांग्रेस ने क़रीब 60 सालों तक देश पर राज किया। अब वो बीजेपी के साथ हैं तो बीजेपी का ज़ोर बढ़ता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह का उदाहरण साफ़ है। जिन सवर्ण जातियों ने उन्हें प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचाया था उन्होंने ही पिछड़ों को आरक्षण दिए जाने के बाद उन्हें राजनीति के हासिये पर पहुँचा दिया।
अब एक नयी माँग उठ रही है कि आरक्षण को जातियों की आबादी के हिसाब से बाँट दिया जाये।
नीतीश का ये दांव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मुश्किल में डाल सकता है। सवर्ण आबादी के हिसाब से भले ही कम हैं लेकिन समाज में माहौल बनाने का काम वो ही करते हैं।