जनसंख्या वृद्धि दर घटना देश के विकास में बाधक है। यह भारतीयों को चौंकाने वाला वक्तव्य है, क्योंकि धारणा यह है कि जनसंख्या वृद्धि भारत के लिए समस्या बन चुकी है। जहाँ जाएँ वहाँ नरमुंड ही नज़र आते हैं। कहीं 10 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए तो हज़ारों लोग जमा हो जाते हैं। पुलिस व सेना की सीधी भर्तियों में भीड़ पर काबू पाने के लिए लाठी चार्ज, आँसू गैस के गोलों तक का इस्तेमाल करना पड़ता है। वहीं भारत की जनसंख्या के आँकड़े कह रहे हैं कि शहरों में बच्चे पैदा करने की घटती मौजूदा दर आने वाले वर्षों में विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनने वाली है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर घटने से फ़ायदा नहीं, होगा बड़ा नुक़सान
- विचार
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- 29 Oct, 2019

फ़ोटो साभार - fiinovation.co.in
अगर मौजूदा कामकाजी आबादी का सही उपयोग न हुआ तो देश जनसांख्यिकीय लाभांश गँवा देगा। क्योंकि देश के शहरी इलाक़े और कई राज्य चीन की तरह ही बूढ़े होने की ओर बढ़ रहे हैं।
दरअसल, किसी देश का विकास इस बात पर निर्भर है कि उसकी आबादी की गुणवत्ता कैसी है। सामान्य शब्दों में कहें तो इसका मतलब यह है कि बच्चों, कामकाजी लोगों व बुजुर्गों की संख्या देश में कितनी है। जिस देश में कामकाजी लोगों की संख्या ज़्यादा होती है उसका विकास बहुत तेज़ रफ्तार से होता है। वहीं जिन देशों में बुजुर्गों यानी आश्रित और निःशक्त लोगों की संख्या ज़्यादा हो जाती है उसके विकास की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। इस हिसाब से भारत फ़िलहाल जनसांख्यिकीय लाभ के दौर से गुज़र रहा है, जहाँ कामकाजी लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है और बच्चों व बुजुर्गों यानी आश्रितों की संख्या कम है।