आम आदमी पार्टी ने एक बड़ा बयान देकर विपक्षी इंडिया गठबंधन की एकता को झटका दिया है। पार्टी ने साफ़ किया है कि वह किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है और बिहार, असम, गुजरात सहित कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। यह बयान 2024 के लोकसभा चुनावों और दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप की करारी हार के बाद आया है।
आप के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक अनुराग ढांडा ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा, 'आप किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। हमारी अपनी ताक़त है और हम उस पर काम कर रहे हैं।' जब उनसे इंडिया गठबंधन की स्थिति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ़ किया कि गठबंधन केवल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए था और अब आप किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। यह पहला मौक़ा है जब आप ने इतने साफ़ शब्दों में गठबंधन से अलग होने की बात कही है। हाल ही में, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी इंडिया गठबंधन के भविष्य पर चिंता जताई थी और कहा था कि उन्हें नहीं पता कि गठबंधन अभी भी बरकरार है या नहीं।
आप की नई रणनीति
आप अब अपनी संगठनात्मक संरचना को मज़बूत करने और कई राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गई है। पार्टी ने राज्यों को दो श्रेणियों में बांटा है: श्रेणी ए और श्रेणी बी। श्रेणी ए में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, असम, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली और गोवा जैसे बड़े राज्य शामिल हैं, जहां आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सक्रिय रूप से प्रचार करेंगे। श्रेणी बी में स्थानीय नेतृत्व चुनावी कमान संभालेगा।
बिहार में जहां राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियां इंडिया गठबंधन में मिलकर चुनाव लड़ती हैं, आप ने स्वतंत्र रूप से सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार आप के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने कहा, 'हम बिहार में अकेले चुनाव लड़ेंगे। हमारा फोकस बूथ स्तर तक संगठन को मज़बूत करने पर है। हम सात चरणों में यात्रा कर रहे हैं, जिसका तीसरा चरण सीमांचल क्षेत्र में चल रहा है।'
आप का यह फ़ैसला इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि पार्टी पहले भी कई विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वोट काटकर ‘स्पॉइलर’ की भूमिका निभा चुकी है।
मिसाल के लिए, हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप ने 11 में से 5 सीटों पर जीत के अंतर से अधिक वोट हासिल किए, जहाँ केजरीवाल ने प्रचार किया था। दिल्ली में भी, 70 में से 17 सीटों पर कांग्रेस की मौजूदगी ने आप को नुक़सान पहुँचाया। आप की यह रणनीति भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से फ़ायदा पहुँचा सकती है, जैसा कि पहले देखा गया है।
दिल्ली में हार के बाद आप अब अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। पार्टी का ध्यान अब पंजाब पर है, जो एकमात्र राज्य है जहां वह सत्ता में है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संदीप पाठक जैसे नेता जमीनी स्तर पर पार्टी को मज़बूत करने के लिए अभियान बना रहे हैं। आप ने अगले दो वर्षों के लिए अपना चुनावी कैलेंडर तैयार किया है। 2026 में असम विधानसभा चुनाव और 2027 में उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात और दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी जोरदार तरीके से उतरेगी।
आप का इंडिया गठबंधन से अलग होने का फ़ैसला एक जोखिम भरा क़दम है। एक तरफ़, यह पार्टी को अपनी स्वतंत्र पहचान और संगठन को मज़बूत करने का मौक़ा देता है। दूसरी तरफ़, यह विपक्षी एकता को कमजोर कर सकता है, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। आप की रणनीति अब यह है कि वह अपनी ताक़त को बढ़ाए और उन राज्यों में प्रभाव बनाए जहां उसका पहले से आधार है। हालाँकि, राजद और कांग्रेस के मज़बूत गठबंधन वाले बिहार जैसे राज्यों में आप का अकेले उतरना मुश्किल साबित हो सकता है।
कुल मिलाकर, आप का यह क़दम विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल उठाता है और यह दिखाता है कि 2024 की हार के बाद विपक्षी दल अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं। आप की स्वतंत्र रणनीति कितनी सफल होगी, यह आने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों पर निर्भर करेगा।
आम आदमी पार्टी का यह फ़ैसला न केवल उसके लिए, बल्कि पूरे विपक्षी खेमे के लिए एक अहम है। जहां आप अपनी स्वतंत्र पहचान को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं इंडिया गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आप की यह रणनीति उसे कितना फायदा पहुंचाती है और विपक्षी एकता का भविष्य क्या होगा।