इंदौर पुलिस आयुक्त ने शनिवार देर रात कहा कि स्थानीय भाजपा के कानूनी सेल के संयोजक निमेश पाठक ने शिकायत की कि ज्ञानेंद्र अवस्थी नामक व्यक्ति के नाम से एक फर्जी पत्र सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया था। पत्र में दावा किया गया था कि राज्य में ठेकेदारों से 50 फीसदी कमीशन मांगा जा रहा है। इस पत्र के आते ही शिवराज सरकार में हड़कंप मच गया। सरकार की ओर से सफाई पेश की जाने लगी।
पुलिस ने बताया है कि शहर के संयोगितागंज पुलिस स्टेशन में अवस्थी के साथ-साथ प्रियंका, नाथ और अरुण यादव के 'एक्स' (ट्विटर) खातों के "हैंडलरों" के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, पाठक की शिकायत की जांच की जा रही है।
इससे पहले अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रामसनेही मिश्रा ने दावा किया कि पाठक की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पाठक ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने "भ्रामक" सोशल मीडिया पोस्ट साझा करके और राज्य में भाजपा शासन पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाकर राज्य सरकार और उनकी पार्टी की छवि खराब करने की साजिश रची।
शुक्रवार को, प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट में कहा था कि मध्य प्रदेश के ठेकेदारों के एक संगठन ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की है कि उनका भुगतान 50 प्रतिशत कमीशन देने के बाद ही जारी किया जाता है। प्रियंका ने कहा था कि "कर्नाटक में भाजपा की भ्रष्ट सरकार 40% कमीशन वसूलती थी। मध्य प्रदेश में भाजपा अपने ही भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड को तोड़कर आगे निकल गई है। कर्नाटक की जनता ने 40% कमीशन वाली सरकार को हटा दिया, अब मध्य प्रदेश की जनता 50% कमीशन लेने वाली सरकार को हटा देगी।''
इसके बाद इन्हीं आरोपों को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अरुण यादव ने भी दोहराए। कांग्रेस के बाकी नेताओं ने भी प्रियंका के ट्वीट को रीट्वीट करके उसे वायरल कर दिया। इससे शिवराज सिंह चौहान की सरकार खासी परेशान हुई।