राष्ट्र प्रसन्न है। महाराष्ट्र उससे भी ज्यादा प्रसन्न है लेकिन सबसे ज्यादा प्रसन्न धृतराष्ट्र हैं। वाक्य थोड़ा गलत है, धृतराष्ट्र प्रसन्न नहीं हैं बल्कि हमेशा प्रसन्न रहते हैं। नई पीढ़ी के जो लोग धृतराष्ट्र के बारे में नहीं जानते हैं वे कुंदन शाह की फिल्म `जाने भी दो यारों’ का कालजयी अंतिम दृश्य देख लें। जो बार-बार कहता है, `ये क्या हो रहा है’ और सबकुछ अपनी आँखों के सामने होने देता है, धृतराष्ट्र वही होता है।