मोदी सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। हालांकि 1976 की जिस इमरजेंसी के लिए कांग्रेस और इंदिरा गांधी माफी मांग चुके हैं, उसी की याद को हमेशा बनाए रखने के लिए मोदी सरकार ने यह पैंतरेबाजी की है। लेखक सुदीप ठाकुर का यही कहना है कि अगर आपकी नीयत साफ होती तो आप संविधान सुरक्षा दिवस घोषित करते। पढ़िएः
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा संविधान को मुद्दा बनाए जाने के बीच सत्ता पक्ष की ओर से आपातकाल को फिर से जोर-शोर से मुद्दा बनाया जा रहा है। आख़िर इस पर अब इतना जोर क्यों?
क्या चाँद पर उतरने वाला देश, मन्दिर तक जाने वाली सड़क –रामपथ – को भी ठीक से नहीं बनवा सकता? सड़क और रेलवे स्टेशन की चहारदीवारी गिरने का कारण भ्रष्टाचार के अलावा कुछ और हो सकता है?
मोदी सरकार और बीजेपी ने आख़िर अब 49 साल बाद आपातकाल का राग इतने बड़े पैमाने पर क्यों छेड़ा? जानिए, इसके पीछे वजह क्या है।
इमरजेंसी पर 50 साल बाद राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। वो नरेंद्र मोदी इसे लेकर बयान दे रहे हैं जो खुद पहले गुजरात में और अब राष्ट्रीय स्तर पर अघोषित आपातकाल के आरोपों से घिरे हुए हैं। लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी ने यह सवाल सही उठाया है कि इमरजेंसी पर राजनीति क्यों खेली जा रही है। पढ़िए और जानिए ताजा इतिहासः
इंदिरा गाँधी आपातकाल क्यों लेकर आई थीं? क्या वह एक क्रूर तानाशाह थीं? आपातकाल तानाशाही हुकूमत की शुरुआत थी तो उसकी समाप्ति क्या थी?
26 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। आज देश में चर्चा है कि देश में अघोषित आपातकाल है । क्या है सचाई ? आशुतोष के साथ चर्चा में प्रो अपूर्वानंद, इरफ़ान हबीब, विनोद अग्निहोत्री और विजय त्रिवेदी
कुछ लोगों को ऐसा क्यों महसूस हो रहा है कि देश में आपातकाल लगा हुआ है और इस बार क़ैद में कोई विपक्ष नहीं बल्कि पूरी आबादी है? घोषित तौर पर तो ऐसा कुछ भी नहीं है। न हो ही सकता है।
Satya Hindi News Bulletin: चीनी सेना की एक और घुसपैठ, 18 किलोमीटर भीतर तक घुसी।सैटेलाइट तसवीरें: झड़प वाली जगह गलवान में चीन ने बनाया ढाँचा