ताज़ा सरकारी आँकड़े बता रहे हैं कि गाँवों में अर्थव्यवस्था 40 साल के न्यूनतम स्तर पर है। पर सरकार का कहना है कि किसी का कोई काम नहीं रुक रहा है और अर्थव्यवस्था की खुशहाली का यह सबूत है।
भारत छोड़ने की बात कर रही वोडाफ़ोन अकेली कंपनी नहीं है जो यहाँ व्यापार में नाकाम हो रही हैं, लाखों कंपनियाँ बंद हो चुकी हैं और कई बंद होने के कगार पर हैं। क्या है मामला?
बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय से भी इन कंपनियों के कर्मचारियों की स्थिति सुधरने को नहीं है। एक लाख लोगों की नौकरी ख़तरे में हे, पूरा दूरसंचार उद्योग की स्थिति ही बुरी है।
स्टेट बैंक ने अपनी ताज़ा रपट में कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेल उत्पाद की वृद्धि दर घट कर 4.2 प्रतिशत पर आ सकती है।
सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 4.3 प्रतिशत सिकुड़ गया, यानी इस क्षेत्र में उत्पादन पहले से भी कम हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ इनवेस्टर सेवा ने शुक्रवार को भारत की रेटिंग में कटौती कर दी है। इसने भारत की रेटिंग को 'स्टेबल' से गिरा कर 'निगेटिव' कर दिया है।
सरकार रियल स्टेट को संभालने के लिए रुकी पड़ी आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25 हज़ार करोड़ रुपये के विशेष कोष का गठन करेगी।
प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी और सोने की कीमत का लगातार गिरना कई सवाल खड़े करता है। यह किस आर्थिक नीति का नतीजा है और सरकार क्यों हस्तक्षेप नहीं करती है?
भारत ने रीजनल कॉम्प्रेहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में शामिल होने से इनकार बिल्कुल अंत में किया। प्रधानमंत्री का कहना है कि भारत की चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ शब्दों में कह दिया है कि भारत क्षेत्रीय आर्थिक संगठन आरसीईपी में शामिल नहीं होगा। सीमा शुल्क और बाज़ार खोलने के मुद्दे पर भारत की चिंताओं को दुरुस्त नहीं किया गया है।
पहले से धीमी चल रही अर्थव्यवस्था की रफ़्तार दिन-ब-दिन और कम होती जा रही है। ताजा आँकड़े बताते हैं कि उत्पादन क्षेत्र दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुका है।
देश के 8 कोर सेक्टर यानी उद्योग जगत के सबसे अहम क्षेत्रों में सिंतबर महीने का उत्पादन अगस्त के उत्पादन से 5.2 प्रतिशत कम हुआ है।
पूरी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में पहले से ही है, दूरसंचार क्षेत्र की कंपनयों पर संकट बढ़ता जा रहा है, एक ही कंपनी का वर्चस्व बढ़ रहा है। क्या है मामला?
एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इनफ़ोसिस के शेयरधारकों को सिर्फ़ एक दिन में 53,000 करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है।
सत्तारूढ़ दल और मोदी सरकार के हमलों के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने उन्हें याद दिलाया है कि कभी उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ भी काम किया है।
अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी नीलसन का कहना है कि भारत के गाँवों में उपभक्ता वस्तुओं की खपत 7 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पलटवार करते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपनी नाकामियों के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने में लगी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे ख़राब था।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए साल 2019 के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 1.2 प्रतिशत अंक की कटौती कर इसे 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
देश की आर्थिक बदहाल की बात तो केंद्र सरकार स्वीकार नहीं कर रही है, पर अब ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 5 साल में बहुत नीचे खिसका है।
क्या तमाम आर्थिक इन्डीकेटर यह संकेत दे रहे हैं कि बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी की शुरुआत हो जाएगी?
औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर शून्य से नीचे चला गया है, अगस्त में यह -1.1 प्रतिशत तक पहुँच गया।
विश्व आर्थिक फ़ोरम द्वारा तैयार अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भारत 10 स्थान फिसल कर 68वें स्थान पर आ गया। इस सूची में 141 देश हैं।
भारत की आर्थिक मंदी पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चिंता जताई है। नई आईएमएफ़ प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा है कि यह भारत में ज़्यादा दिख रही है।
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) की बदहाली पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम में क्या ख़ामी है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर दी है। आरबीआई ने इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है।