वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक मशहूर कारोबारी समूह के शख्स ने खान-खान की चीजों पर जीएसटी को आसान बनाने के लिए कहा। लेकिन वित्त मंत्री ने जिस अंदाज में बात की लगता है कि वो इस देश की रानी विक्टोरिया हों। उनका एक और भी वीडियो वायरल हुआ जिसमें मणिपुर पर सवाल पूछने वाले पत्रकार को निर्मला सीतारमण डांटती देखी गईं। मोदी सरकार कैसे काम कर रही है, ये दोनों घटनाएं बताने के लिए पर्याप्त है। बाकी जनता जाने जो आजकल जुमले भी नहीं समझ रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के दौरे पर कहा है कि वह भारत में भी कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं और वह इस दिशा में मिलकर कोशिश कर रहे हैं। क्या सच में भारत में सिंगापुर बनाने का माहौल है? या हालात कुछ और स्थिति की ओर इशारा करते हैं?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी के मामलों में हाल में दिए गए फ़ैसले क्या ईडी की निर्बाध शक्तियों को कम नहीं करते हैं? क्या अब सुप्रीम कोर्ट ने मोदी शासन के कोबरे की विषग्रंथि निकाल दी है?
मेरिट का अहंकार लेकर आने वाला आईएएस ही दरअसल इस देश का शासन चला रहा है। बिना किसी पूर्व अनुभव के 30 साल का युवक सीडीओ बनकर ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी संभालता है। जिनमें अधिकांश को ठीक से गांव का ढांचा तक मालूम नहीं होता। बिना अनुभव का आईपीएस अफसर आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए भाषण झाड़ने लगता है और अनर्थ कर बैठता है। ऐसे उदाहरण एक नहीं सैकड़ों में हैं। शासन व्यवस्था चलाने का यह गोरखधंधा सिर्फ इसी देश में चल रहा है।
राज्यसभा से लेकर लोकसभा तक विपक्ष नयी ऊर्जा से भरपूर दिख रहा है। राहुल का जवाब देने पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर मंत्री तक देने उठ रहे हैं। सभापति को सदन से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा? आख़िर इसकी वजह क्या?
मोदी सरकार के इस बजट का क्या संदेश है? सरकार आख़िर बजट में आम लोगों के लिए कुछ कर पाई है या फिर यह कॉर्पोरेट घरानों के अनुकूल बजट है?
रोजमर्रा की सबसे बड़ी ज़रूरत वाली तीन सब्जियों- आलू, प्याज और टमाटर की महंगाई आख़िर बार-बार आसमान क्यों छू लेती है? किसान कभी सब्जियाँ सड़कों पर फेंकने को मजबूर होते हैं तो कभी ग़रीबों की इसको ख़रीदने की क्षमता तक नहीं बच पाती?
क्या चाँद पर उतरने वाला देश, मन्दिर तक जाने वाली सड़क –रामपथ – को भी ठीक से नहीं बनवा सकता? सड़क और रेलवे स्टेशन की चहारदीवारी गिरने का कारण भ्रष्टाचार के अलावा कुछ और हो सकता है?
मोदी पार्टी यानी भाजपा अपने दम पर आम चुनाव में बहुमत नहीं पा सकी और कुछ दलों की बैसाखियों पर टिकी इस सरकार के मुखिया न जाने क्या-क्या दावे कर रहे हैं। भाजपा की हार का विश्लेषण जारी है। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने भी अपने तरीके से मोदी पार्टी की हार का विश्लेषण किया है। उनके विचार जानिएः
पीएम मोदी कन्याकुमारी में ध्यान लगाए बैठे हैं और देश के तमाम पत्रकार और चिन्तक उस पर अपनी कलम चला रहे हैं। हर किसी के देखने का नजरिया है। पेश है यह नजरिया। पढ़िएः
क्या देश की राजनीति संप्रदाय आधारित होकर रह गई है और इसका आगे भी यही हाल होने वाला है? क्या स्वास्थ्य और शिक्षा कभी मुद्दा बन सकते हैं?
चुनाव आयोग पर लगातार गंभीर सवाल क्यों उठ रहे हैं? चुनाव प्रचार में नफ़रती भाषणों पर कार्रवाई से लेकर मतदान के आँकड़े जारी करने में देरी तक को लेकर ईसीआई निशाने पर क्यों है? अब विपक्षी नेता खड़गे पर ही आयोग नाराज़ क्यों?
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी बीजेपी का कैसा प्रदर्शन रहेगा? जानिए, यदि उनकी सीटें कम हुईं तो इसके क्या संदेश होंगे।
पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों में कथित उल-जलूल दावों पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। आख़िर किन वजहों से पतंजलि ने ऐसे दावे करने शुरू कर दिए थे?
मोदी सरकार का गवर्नेंस मॉडल किसके लिए है? इससे किसको फ़ायदा हो रहा है? मिनरल वॉटर पीने वालों को या फिर दो वक़्त का खाना भी न खा पाने वालों को? वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह बता रहे हैं गवर्नेंस मॉडल का पूरा सच-
नारद घोटाले में सीबीआई ने सत्ताधारी टीएमसी के चार नेताओं को गिरफ्तार किया लेकिन मुख्य अभियुक्त सहित जो अन्य आरोपी केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी में शामिल हो गए उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा क्यों?
देश जब दवा, बेड्स, इलाज, ऑक्सीजन और टीके के अभाव में मौत सामने देख रहा है, देर से ही सही, प्रधानमंत्री के सांत्वना और भरोसे के दो शब्द देशवासियों ने सुने।
कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी में प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर कोरोना को सुरक्षित कर देते हैं।
उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत पिछले दो सालों में निरुद्ध 41 लोगों में (जिनमें 90 फ़ीसदी अल्पसंख्यक थे) 30 की गिरफ़्तारी ग़लत क़रार दी। नौकरशाही को आख़िर हुआ क्या है?
एक बड़े राज्य की राज्यपाल ने सस्ते भोजन की महत्ता बताते हुए एक समारोह में कहा कि भोजन मिले तो कोई अपराध नहीं करना चाहेगा।
स्वयं गाँधी ने ही नहीं कांग्रेस ने भी राजनीतिक स्वतंत्रता के मुकाबले हमेशा समाज सुधार को, खासकर हिंदू समाज की कुरीतियों पर प्रभावी प्रहार को ख़ारिज या निलंबित रखा।
कुछ दिनों पहले नोएडा में एक सड़क दुर्घटना के बाद एकत्रित हुए तमाशबीनों को कार के ड्राईवर ने अपना हिन्दू नाम बताया लेकिन जब पुलिस पहुँची और उसका लाइसेंस देखा तो वह मुसलमान निकला।
डेढ़ माह से ज़्यादा वक़्त से भीषण ठंड में भी जारी किसान आंदोलन जीने और मरने की लड़ाई में तब्दील हो गया है।
किसानों के लिए बनाये गए तीन क़ानून आज मोदी सरकार के गले की हड्डी बन गए हैं।
स्टैंडअप कॉमेडियन भारती सिंह और उसके पति को गांजा रखने और पीने के आरोप में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। दीपिका पदुकोण सहित कई हस्तियाँ राडार पर हैं। क्या समाज के आइकन खरा नहीं उतर रहे हैं?
बिहार के मुख्यमंत्री को शायद समझ में नहीं आया कि लम्बे समय तक शासन में रहने के अपरिहार्य दोष के रूप में पैदा हुए सामंती अहंकार का विस्तार लोकप्रियता के उल्टे अनुपात में होता है।