भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने दलित आरक्षण में क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू करने वाले एक बहुमत (6-1) फैसले में लिखा कि किसी एक परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करना प्रशासन में भी उच्च दक्षता की गारंटी नहीं है और अगर कोई व्यक्ति निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त कर लेता हो तो वह प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने के लिए काफी है”. जाहिर है उनके मन में भी इस निर्णय तक पहुँचने के पीछे सबसे पुख्ता तर्क यही रहा होगा कि दक्षिण के राज्यों में दलित और बैकवर्ड आरक्षण की सीमा लगभग 70 प्रतिशत सात दशकों से है लेकिन उत्तर भारत के राज्यों से वहाँ के गवर्नेंस में प्रशासनिक दक्षता हमेशा बेहतर रही है.