तेलंगाना में लागू किया गया SC सब-कोटा न सिर्फ राज्य बल्कि राष्ट्रीय राजनीति को भी नई दिशा दे सकता है। क्या यह सामाजिक न्याय के एजेंडे को फिर से केंद्र में लाएगा?
तेलंगाना में SC आरक्षण, सब कोटा बदलेगी राजनीति? इसका वास्तव में क्या मतलब है, और यह न केवल तेलंगाना में, बल्कि राष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर भी हलचल क्यों मचा रहा है?
बिहार में वर्षों से आरक्षण राजनीति का केंद्र रहा है। भाजपा हिंदू एकता और ध्रुवीकरण की रणनीति अपना रही है, लेकिन क्या मंडल की नई लहर उसकी तैयारियों पर पानी फेर देगी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना और जनसंख्या के अनुसार हिस्सेदारी की वकालत कर क्या समाजवादियों के एजेंडे को हथिया रहे हैं? जानिए, क्या राजनीतिक समीकरण बदलेंगे।
जवाहरलाल नेहरू को आख़िर किस आधार पर आरक्षण विरोधी बताया जा रहा है? क्या उनके कार्यकाल में आरक्षण नहीं दिया गया? तो सवाल है कि आरक्षण को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्रियों को आख़िर क्या लिखा था?
राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे पर आरक्षण वाले बयान पर भीमराव आंबेडकर के प्रपौत्र राजरत्न आंबेडकर ने बड़ा खुलासा किया है। जानिए, उन्होंने क्यों कहा कि राहुल के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए बीजेपी ने उनसे संपर्क किया।
राहुल गांधी के अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण के दिए बयान को आख़िर बीजेपी से लेकर बीएसपी तक क्यों मुद्दा बना रहे हैं? क्या राहुल गांधी का आरक्षण पर विचार बदल गया है या फिर उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी समूह की उपजातियों के वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के भारत बंद का देश में मिला जुला असर रहा। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने इस बंद को समर्थन दिया था। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी और सांसद चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी ने भी बंद का समर्थन किया था।
यूपीएससी ने शनिवार को लैटरल एंट्री मोड के जरिए भरे जाने वाले संयुक्त सचिवों के 10 और निदेशकों/उप सचिवों के 35 पदों का विज्ञापन जारी किया है। लैटरल एंट्री के जरिए केंद्र सरकार ने पहले भी बड़े पैमाने पर भर्तियां की हैं। ऐसी भर्तियां विवादित हैं। दूसरी तरफ यूपी में 69000 सहायक शिक्षकों की सूची हाईकोर्ट ने योगी सरकार से फिर से जारी करने को कहा है। क्योंकि सरकार ने जो नियुक्तियां की हैं, उनमें आरक्षण नियमों का पालन ही नहीं किया गया। योगी सरकार ने कोटा सिस्टम को ताक पर रख दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही एससी-एसटी कोटे में क्रीमी लेयर को बाहर कर हाशिए में पड़े अन्य दलित उपजातियों को आरक्षण का लाभ देने का फैसला सुनाया था। इसका दलित संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने विरोध कर दिया था। इसके बाद भाजपा के सांसदों ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर सुप्रीम फैसले पर आपत्ति जताई। इसके बाद मोदी कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नामंजूर कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछड़े समुदायों के बीच ज्यादा हाशिए पर रहने वाले लोगों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण को मंजूरी दे दी है।
बिहार सरकार ने आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के सरकार के फ़ैसले को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पिछले साल नवंबर में बिहार विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से आरक्षण विधेयक पारित किये जाने के कुछ ही दिनों बाद नीतीश सरकार ने कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी की थी।
आरक्षण पर बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस की राय को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है। अब फिर से इस पर बीजेपी और कांग्रेस में विवाद है तो मोहन भागवत ने आरक्षण का समर्थन किया है। आख़िर उन्हें बार-बार इस पर सफाई क्यों देनी पड़ती है, क्या संघ के पहले की राय में बदलाव आया है?
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को 7 फरवरी को एससी-एसटी वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के भीतर उसके उप वर्गीकरण की वैधता पर दूसरे दिन सुनवाई की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए नेहरू पर हमला किया। जानिए उन्होंने किस आधार पर नेहरू को आरक्षण विरोधी बताया।
आरक्षण लागू करने को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देशों वाले नए मसौदा में क्या था और इसपर इतना विवाद क्यों हुआ? यूजीसी की वेबसाइट से मसौदे को हटाने के बाद भी बीजेपी सरकार पर लगातार सवाल क्यों उठ रहे हैं?
बिहार में नीतीश सरकार की ओर से पहले करायी गयी जातिवार जनगणना और फिर 75 फ़ीसदी तक आरक्षण के विधेयक को पारित कराना क्या राजनीतिक वातावरण को पूरी तरह बदलने वाला क़दम है?
नीतीश कुमार ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर जातिगत आरक्षण 65 फीसदी देने का क़ानून तो पास कर दिया, लेकिन क्या यह सुप्रीम कोर्ट के सामने टिक भी पाएगा?
नीतीश कुमार ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर जातिगत आरक्षण 65 फीसदी देने की घोषणा तो कर दी, लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट की तय 50 फीसदी की सीमा आड़े नहीं आएगी?
नीतीश कुमार द्वारा आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव क्या राष्ट्रीय राजनीति को बदल देगा? क्या इससे हिंदुत्व की राजनीति की हवा निकल जाएगी? पहले से ही जातिगत जनगणना के सवाल पर उलझी बीजेपी के लिए क्या ये घोषणा एक बड़ी आफ़त बन जाएगी?
बिहार सरकार ने बिहार विधानसभा में सामाजिक और आर्थिक रिपोर्ट पेश की है जिसमें राज्य के 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय मात्र 6 हजार रुपये ही है। जानिए, अब उन्होंने जाति आरक्षण पर क्या कहा।
2 अक्टूबर 2023 को जाति गणना के आंकड़े जारी होने के बाद बिहार में मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। करीब 2 वर्ष बाद बिहार में हुई इस सर्वदलीय बैठक में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग उठी है।
क्या है मराठा आरक्षण का मामला जिसने महाराष्ट्र की राजनीति को गर्म कर दिया है
2024 चुनाव बीजेपी के लिये बेहद अहम है । मोदी किसी भी हाल में ये चुनाव हारना नहीं चाहेंगे । लेकिन इंडिया गठबंधन की एकजुटता, दस साल की एंटी इंकमबेंसी और जाति जनगणना की माँग से बीजेपी की जीत पर संदेह के पैदा हो गया है । इसकी काट के लिये आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने चला बड़ा दांव । जाति आधारित आरक्षण का किया पहली बार खुल कर समर्थन । आशुतोष ने की नीलांजन मुखोपाध्याय और विजय त्रिवेदी के साथ चर्चा ।
आरक्षण पर दलितों और पिछड़ों की राय एकदम साफ़ है, लेकिन मोहन भागवत की राय क्या है? क्या उनकी राय भी साफ़ है या बदलती रहती है? जानें भागवत के विचार क्या हैं।