आरक्षण लागू करने को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देशों वाले नए मसौदे ने बीजेपी सरकार की आरक्षण नीति पर फिर से सवाल खड़े कर दिए। यूजीसी के दिशानिर्देशों वाला नया मसौदा 'डि-रिजर्वेशन' को लेकर था। इस पर इतना ज़्यादा विवाद हुआ कि यूजीसी की वेबसाइट से उस मसौदे को हटा लिया गया। आरोप लगे कि 'डि-रिजर्वेशन' की यह नीति से पूरे आरक्षण के विचार पर ही हमला है! इसी को लेकर छात्र संगठनों से लेकर टीचर एसोसिएशन तक उबल पड़े और सरकार को सफाई जारी करनी पड़ी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस विवाद पर कहा कि एक भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जाएगा।
यूजीसी वेबसाइट से 'डि-रिजर्वेशन' मसौदा क्यों हटा; आरक्षण पर नीयत साफ़ नहीं?
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- 30 Jan, 2024
आरक्षण लागू करने को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देशों वाले नए मसौदा में क्या था और इसपर इतना विवाद क्यों हुआ? यूजीसी की वेबसाइट से मसौदे को हटाने के बाद भी बीजेपी सरकार पर लगातार सवाल क्यों उठ रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री के इस बयान से क्या अब विवाद ख़त्म हो जाएगा? यदि ऐसा है तो फिर इस पर सफाई क्यों नहीं दी गई कि यूजीसी ने आख़िर 'डि-रिजर्वेशन' वाला मसौदा पेश क्यों किया और इसके लिए ग़लती मानने के बजाए उस मसौदे को ही वेबसाइट से हटा लिया गया? इन सवालों के जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर 'डि-रिजर्वेशन' नीति क्या है, इस पर विवाद क्यों है, क्या यह नियमों के अनुसार सही है और बीजेपी की आरक्षण को लेकर नीति पर सवाल क्या उठ रहे हैं?