क्या इमरजेंसी के दौर में आरएसएस ने इंदिरा गांधी की चुपचाप मदद की थी? इस ऐतिहासिक दावे पर उठे सवालों के बीच जानिए किन दस्तावेज़ों और बयानों से यह आरोप मजबूत हुआ है।
क्या समानता के चैंपियन और हिंदुत्व के आलोचक डॉ आम्बेडकर आज जीवित होते तो आरएसएस-भाजपा के नए भारत में सुरक्षित रहते? जाने-माने चिंतक और रंगकर्मी शमसुल इसलाम का विश्वेषणः
आरएसएस की तीन दिनों की बैठक रविवार 23 मार्च को बेंगलुरु में खत्म हुई। 23 मार्च को ही शहीद-ए-आजम भगत सिंह का बलिदान दिवस है यानी आज के ही दिन अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दी थी। लेकिन आरएसएस ने शहीदों को लेकर कोई प्रस्ताव पास नहीं किया। आरएसएस का देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों के प्रति क्या नज़रिया है, जानिएः
भारत में महिलाओं की स्थिति अब तक कैसी रही है? महिलाओं की जिस पराधीन स्थिति की बात की जाती है, आखिर वह स्थिति किन वजहों से बनी? जानिए आरआरएस क्या मानता रहा है और इसकी दलीलें क्या रही हैं।
क्या सिख विरोधी दंगे के गुनहगारों और सिखों का क़त्लेआम करने वालों को सजा मिल पाई? आख़िर इसमें कौन लोग शामिल थी और इसकी राजनीति करने वालों में कौन कौन लोग थे?
आंबेडकर पर अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष अब बीजेपी और आरएसएस पर आंबेडकर के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। जानिए, आरएसएस की क्या भूमिका रही थी। शमसुल इस्लाम की दो साल पहले लिखी टिप्पणी...
यह शर्मनाक तथ्य भी पहली बार सामने आया कि जलियाँवाला बाग़ क़त्लेआम के अगले दिन, 14 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज़ों ने वायुसेना के एक जहाज़ को उड़ाते हुए ज़बर्दस्त बमबारी की थी। जब जहाज लौटा तो सड़कों पर कोई व्यक्ति नहीं दिख रहा था।
भारत की आजादी में नेताजी की भूमिका क्या थी यह हम सब जानते हैं। लेकिन सावरकर आजादी के संघर्ष के दौरान क्या कर रहे थे?
राजनाथ सिंह ने यह क्यों कहा कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अँग्रेज़ों को माफ़ीनामे लिखे थे? क्या इसके लिए कोई तथ्य है या फिर गांधी के विचारों पर हमले का प्रयास है?
हिंदुत्ववादी ताक़तें मुसलमानों को देशद्रोही और पाकिस्तान परस्त साबित करने में जुटी हैं । भारत बँटवारे के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाता है । क्या आज़ादी के पहले सारे मुसलमान जिन्ना के समर्थक थे ? क्या सभी मुसलमान भारत बँटवारे के पक्ष में थे ? क्या है हकीकत ? जाने, इतिहास का वो पहलू जो भुला दिया गया ।
डॉ. रमेश उपाध्याय, महानतम जनवादी लेखकों में से एक, विचारक, हरदिल-अज़ीज उस्ताद, बुद्धिजीवी, का 23-24 अप्रैल को रात लगभग 1. 30 बजे देहांत हो गया। लेखक शमसुल इसलाम की श्रद्धांजलि।
1857 स्वतंत्रता संग्राम की 163वीं सालगिरह है। 10 मई 1857, दिन रविवार को छिड़े भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में देश के हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों ने मिलकर विश्व की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी ताक़त को चुनौती दी थी।
आरएसएस-बीजेपी परिवार गाँधीजी को अपमानित और नीचा दिखाने का कोई मौक़ा नहीं गँवाती है। क्या उन्हें सावरकर का इतिहास नहीं जानते हैं? पढ़िए, पाँच साल पहले लिखे शमसुल इस्लाम की टिप्पणी।
नागरिकता (संशोधन) क़ानून, 2019 के जरिए आरएसएस/बीजेपी के शासकों ने संविधान की मूल-आत्मा, देश के लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष चरित्र और उसकी बुनियाद पर गहरा आघात किया है।
नागरिकता विधेयक पर बहस के दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि यह कांग्रेस थी जिस ने देश को धर्म के आधार पर विभाजित कराया, हमने नहीं। क्या यह सफेद झूठ नहीं है?
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए सिख-विरोधी दंगों के दोषियों को आज तक सज़ा नहीं मिली, इसके उलट कई तो सरकार का हिस्सा बन गए थे।
आरएसएस के राजनैतिक जेबी संगठन बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में जारी अपने संकल्प पत्र में हिंदुत्व विचारधारा के जनक वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है। लेकिन क्या सावरकर इसके काबिल हैं?
दिल्ली विश्वविद्यालय में शहीद भगत सिंह और नेताजी की मूर्तियों को वी डी सावरकर की मूर्ति के साथ एक ही पीठिका पर रखने का दुस्साहस किया गया। क्या भगत सिंह और नेताजी से सावरकर की तुलना की जा सकती है?
भारत के इतिहास में पहली बार नागपुर के 'राष्ट्र-संत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय' के पाठ्यक्रम में आरएसएस का अध्ययन शामिल किया गया है।