आरएसएस के राजनैतिक जेबी संगठन बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में जारी अपने संकल्प पत्र में हिंदुत्व विचारधारा के जनक वीर सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किया है। उनके साथ दलित आंदोलन के मूल दिग्गज सिद्धाँतकारों में से दो, ज्योतिबा फुले और उनकी जीवन संगनी सावित्री बाई फुले के लिए भी भारत रत्न दिलाने का संकल्प लिया गया। ध्यान देने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र के साथ ही हरियाणा में भी चुनाव हो रहे हैं लेकिन बीजेपी ने यहाँ के चुनावी घोषणा पत्र में ऐसा कोई संकल्प नहीं लिया है।
सावरकर को भारत रत्न की वकालत: राष्ट्र-विरोधी विरासत की पुष्टि
- विचार
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- 20 Oct, 2019

बीजेपी हिंदुत्व विचारधारा के जनक सावरकर को भारत रत्न दिलाने का वादा किस आधार पर कर रही है? सावरकार ने अँग्रज़ों के सामने छह बार माफ़ीनामा लिखा, उसका क्या? सावरकर को अँग्रेज़ शासकों के सामने सम्पूर्ण समर्पण के लाभ भी हासिल हुए। उनकी 50 साल की सज़ा में से 37 साल की सज़ा में छूट दे दी गई। काला पानी जेल के इतिहास में जेल के बंदियों में से वह इकलौते ऐसे क़ैदी थे जिन पर अँग्रेज़ों ने इतने खुले दिल से अहसान किए!
महाराष्ट्र के चुनाव में आरएसएस/बीजेपी का यह वादा दो तरह से चौंकाने वाला है। पहले यह कि सावरकर जिन्होंने अपने पीछे राष्ट्र-विरोधी और समाज-विरोधी विरासत छोड़ी वह कैसे देश के सर्वोच्च सम्मान के क़ाबिल माने जा सकते हैं। यह सच है कि सावरकर के राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक समावेशी भारत के ‘मुक्ति योद्धा’ के तौर पर हुई लेकिन काला पानी जेल में क़ैद ने उन्हें अँग्रेज़ शासकों के प्रशंसक में बदल दिया और उन्होंने बाक़ी जीवन हिंदुत्व विचारधारा जो जातिवाद, हिन्दू अलगाववाद और अंग्रेज़परस्ती पर टिकी थी, के प्रसार में लगा दिया। उन्होंने साझे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को धर्म के आधार पर बाँटने में मुख्य भूमिका निभायी जो विदेशी शासक चाह रहे थे। इस काम में उन्होंने जिन्ना और मुसलिम लीग से भी हाथ मिलाए।