नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा का जायजा लेने जब मैं निकला तो उपद्रव ग्रस्त इलाकों में कोई भी बोलने के लिए तैयार नहीं था। आप उन इलाकों के किसी भी वाशिंदे से पूछिए तो उसका कुछ ऐसा जवाब होता है- ‘हम तो साहब यहां थे ही नहीं...हमारे मोहल्ले के लोग नहीं थे, पता नहीं वे लोग कहां से आए थे।’ एक-दो आदमी यह भी कहते मिले, ‘साहब, हुकूमत से कोई जीत पाया है...इन हुड़दंग मचाने वाले लौंडों को पिट-पिटाकर ही बात समझ में आती है।’
नागरिकता क़ानून: पश्चिमी यूपी में वर्दी और डंडे के ख़ौफ़ के बीच सच की तलाश
- उत्तर प्रदेश
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- 1 Jan, 2020

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुज़फ़्फरनगर, बिजनौर में उपद्रवियों की धरपकड़ जारी है। नामजद लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुज़फ़्फरनगर, बिजनौर सहित अनेक जिलों में आप जब जाएंगे तो आपसे अनजान लोग इसी तरह की बात करेंगे। वर्दी और डंडे का ख़ौफ़ यहां इतना है कि उपद्रवग्रस्त इलाकों में कोई यह कहता नहीं मिलता कि वह भी प्रदर्शनकारियों में शामिल था या वह नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से किए गए किसी विरोध-प्रदर्शन में शरीक हुआ था।