मायावती ही वह नेता हैं, जिन्होंने 2007 से 2012 के अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में मूर्तियों की राजनीति की शुरुआत की थी। मायावती ने लखनऊ के साथ ही नोएडा में भी बाबा साहेब आंबेडकर, कांशीराम और ख़ुद की मूर्तियां लगवाई थीं।
बीजेपी ने विधानसभा से लेकर राज्यसभा में मुख्य सचेतकों की नियुक्ति के मामले में ब्राह्मण कार्ड खेला है और कांग्रेस "ब्राह्मण चेतना संवाद" के माध्यम से ब्राह्मण मतदाताओं को पुनः साधने में जुटी है।
फिलहाल ब्राह्मण ही सूबे की सियासत का केंद्र बने हुए हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सूबे के चारों प्रमुख सियासी दल अपने-अपने तरीके से ब्राह्मण समुदाय को पाले में लाने की कवायद में जुटे हैं।