उत्तर प्रदेश के महोबा में मतदाता सूची में चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई है। जैतपुर ग्राम पंचायत के एक मकान में ही 4271 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। जबकि पूरे गाँव में कुल 16,069 मतदाता हैं। यह मामला सामने आने पर विपक्षी दलों ने इसे 'वोट चोरी' का मुद्दा बना दिया है। 

प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, 'महोबा जिले के एक ही घर में 4,271 कुल मतदाता मिले, जबकि इस गांव में कुल वोट 16,000 हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी ने वोट चोरी करना शुरू कर दिया है।' कांग्रेस ने कहा है, "यूपी के महोबा में 'वोट चोरी' का खेल। चुनाव आयोग और नरेंद्र मोदी ने देशभर में 'वोट चोरी' का कारनामा किया है, जो लगातार सामने आ रहा है। आज देश कह रहा है- 'वोट चोर, गद्दी छोड़'।"
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उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में 2026 पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची संशोधन के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह मामला जैतपुर ग्राम पंचायत के एक मकान (नंबर 803) का है। संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'कल मैंने आपको महोबा के दो घरों के बारे में बताया था, जहां 243 और 185 मतदाता दर्ज थे— यह चौंकाने वाला था। आज एक और केस मिला, जहां एक ही घर में 4,271 मतदाता रजिस्टर्ड हैं। अगर एक घर में 4,271 वोट हैं, तो परिवार में करीब 12,000 सदस्य होने चाहिए!" 

उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, 'महोबा के इस घर के मालिक को बता दूं, अगर वे गांव के प्रधान का चुनाव लड़ेंगे, तो वे जीत जाएंगे।' संजय सिंह ने आरोप लगाया कि 'वोट चोरी' उत्तर प्रदेश में भाजपा और चुनाव आयोग की सांठगांठ से शुरू हुई है। उन्होंने कहा, 'हमारा फोकस यह सुनिश्चित करना है कि कोई योग्य मतदाता बाहर न रहे और कोई फर्जी मतदाता अंदर न आए। महोबा की तरह अन्य जिलों में भी ऐसी गड़बड़ियों पर नजर रखेंगे।'

कैसे मामला सामने आया?

यह मामला एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऑडिट से सामने आया, जो पिछले साल महोबा में 1 लाख से अधिक डुप्लिकेट या संदिग्ध मतदाताओं का पता लगा चुका था। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में जैतपुर के तीन वार्डों के असली मतदाताओं को एक ही पते पर जोड़ दिया गया, जिसका कारण ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के नंबरिंग सिस्टम की असंगति बताई जा रही है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह व्यवस्थित धांधली है जो बीजेपी को फायदा पहुँचाने के लिए की गई है।
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अधिकारियों का पक्ष

महोबा के सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी आरपी विश्वकर्मा ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, 'मतदाता असली हैं। केवल पते गलत तरीके से जोड़ दिए गए थे। हम अनियमितताओं को सुधार रहे हैं।' उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में घरों के नंबर असंगत होते हैं, जिससे डेटा एंट्री में गड़बड़ी हुई। बूथ लेवल ऑफिसरों ने डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन में यह त्रुटि पकड़ी। जिला प्रशासन ने ड्राफ्ट लिस्ट पर आपत्तियां दर्ज करने का समय बढ़ा दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन का काम भारत के चुनाव आयोग यानी ईसीआई नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग यानी एसईसी करता है। यह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार की गई मतदाता सूची से अलग है, जिसका इस्तेमाल राज्य विधानसभा और संसदीय चुनावों में किया जाता है।
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हालाँकि, मकान मालिक के लिए यह खुलासा चौंकाने वाला था। पड़ोसियों ने भी इस बात पर अविश्वास व्यक्त किया कि एक ही संपत्ति में हज़ारों लोगों का घर दिखाया जा सकता है। एक बार जब यह गड़बड़ी सामने आई, तो गाँव में चर्चा का विषय बन गई और राजनीतिक विरोधियों ने इसे खराब निगरानी का सबूत माना।

जैतपुर कोई अकेला मामला नहीं है। पास के पनवाड़ी कस्बे में, पुनरीक्षण अभियान में वार्ड 13 के मकान संख्या 996 में 243 मतदाताओं के नाम दर्ज होने का पता चला। बाद में हुई जाँच में मकान संख्या 997 में 185 और नाम दर्ज पाए गए। सैकड़ों लोगों को आधिकारिक तौर पर अपने घरों में 'रहते' देखकर निवासियों को हैरानी हुई और उन्होंने बीएलओ के पास शिकायत दर्ज कराई।