उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को एक कार्यक्रम में दावा किया कि SIR प्रक्रिया के बाद राज्य की मतदाता सूची में करीब 4 करोड़ नामों की कमी आई है। जिसमें से 85-90 फीसदी भाजपा के मतदाता हैं। इस बयान पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखा पलटवार किया है। अखिलेश ने वोट चोरी की याद दिलाई है। इससे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल गरमा गया है। चुनाव आयोग आज तक इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया है कि जब यूपी में 2027 में चुनाव है तो उसकी एसआईआर इतनी जल्दी और वो भी तय समय सीमा के अंदर। जबकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल आदि में भी जल्द ही विधानसभा चुनाव हैं, वहां भी तय समय सीमा में एसआईआर हो रही है।  

योगी आदित्यनाथ का बयान

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के अभिनंदन समारोह में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 25 करोड़ है, जिसमें 65 प्रतिशत से अधिक लोग 18 वर्ष से ऊपर के हैं, इसलिए मतदाताओं की संख्या 16 करोड़ के आसपास होनी चाहिए। लेकिन जनवरी 2025 की मतदाता सूची में 15.44 करोड़ नाम थे, जो SIR के बाद घटकर करीब 12 करोड़ रह गए हैं। यह 4 करोड़ का अंतर है। योगी ने कहा, "यह 4 करोड़ का अंतर आपका विरोधी नहीं है, इसमें से 85-90 प्रतिशत आपका (भाजपा का) मतदाता है।"

उन्होंने नए भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी को टास्क देते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं से अपील की कि हर बूथ पर घर-घर जाकर पात्र मतदाताओं के नाम जुड़वाएं। चुनाव आयोग ने SIR फॉर्म जमा करने की समयसीमा बढ़ाई है, इसका बेहतर उपयोग करें। योगी ने पार्टी पदाधिकारियों को अगले महीने प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची का अवलोकन करने और 2027 के चुनाव को छल-कपट का जवाब देने का मौका बताया।

यूपी एसआईआर विवादः अखिलेश बनाम योगी

अखिलेश यादव का पलटवार

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर योगी के बयान का सीधा जवाब देते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं कि SIR में 4 करोड़ मतदाता शामिल नहीं हुए, जिनमें 85-90 प्रतिशत भाजपा के हैं। अखिलेश ने इसके कई मतलब निकाले:

  • पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) प्रहरियों की सतर्कता से भाजपा का मनमाफिक जुगाड़ नहीं हो पाया।
  • साक्ष्यों के अभाव में हटाए गए ज्यादातर वोटर भाजपा के निकले, यानी गड़बड़ी भाजपा की ओर से थी।
  • कम से कम 3 करोड़ 40 लाख भाजपा मतदाता कम हो गए।
  • 403 विधानसभा सीटों पर प्रति सीट औसतन 84 हजार वोटों का नुकसान, जो वैध नहीं थे।
  • इससे भाजपा आगामी चुनाव में रेस से बाहर हो जाएगी, जबकि यह पीडीए की जीत का गणित बनेगा।

अखिलेश ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने सत्ताधारी दल के नुकसान को देखकर ही समयसीमा बढ़ाई है, लेकिन पीडीए प्रहरी अब दोगुनी सतर्कता से काम करेंगे और किसी गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने नारा दिया: "तू जहां-जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा!"

यूपी में एसआईआर पर विवाद

SIR प्रक्रिया नवंबर 2025 से चल रही है। जिसमें मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने विभिन्न राज्यों में समयसीमा बढ़ाई है, जिसमें उत्तर प्रदेश के लिए भी विस्तार दिया गया। पहले यह विवाद मुख्य रूप से विपक्षी दलों के मतदाताओं के नाम कटने को लेकर था, लेकिन योगी के बयान ने इसे उलट दिया है। भाजपा इसे सूची शुद्धिकरण बता रही है, जबकि सपा इसे साजिश करार दे रही है।


यह विवाद 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में दोनों दलों के बीच सीधी टक्कर का संकेत दे रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति अब 'बूथ और लिस्ट' पर टिक गई है। जहाँ मुख्यमंत्री इसे विपक्ष का छल बताकर कार्यकर्ताओं को 'शौर्य और तेज' दिखाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव इसे भाजपा की विदाई का अंकगणित मान रहे हैं। आने वाले 14 दिन यूपी की राजनीति में बेहद निर्णायक होने वाले हैं।