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हाई कोर्ट का आदेश भी नहीं मानेगी योगी सरकार, रिकवरी के लिये लाई अध्यादेश

लगता है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की कोई परवाह नहीं है। कोर्ट ने अपने आदेश में योगी सरकार से कहा था कि उसे सदबुद्धि आए और वह 16 मार्च तक होर्डिंग्स को हटा ले। इन होर्डिंग्स में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वाले अभियुक्तों के फ़ोटो लगाये गये थे। लेकिन योगी सरकार ने जोर देकर कहा है कि इन होर्डिंग्स को किसी भी हालत में नहीं हटाया जाएगा।

होर्डिंग्स लगाने के योगी सरकार के फ़ैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और सरकार के इस काम को ग़लत करार दिया था। कोर्ट ने योगी सरकार से होर्डिंग्स हटाकर 16 मार्च तक रिपोर्ट देने के लिये कहा था। लेकिन योगी सरकार इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट चली गयी। सुप्रीम कोर्ट से भी योगी सरकार को कोई राहत नहीं मिली थी।  

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होर्डिंग्स लगाने के विवाद के बीच योगी सरकार ने शुक्रवार को एक अध्यादेश पारित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में पारित किये गये अध्यादेश का नाम रिकवरी ऑफ़ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी 2020 है।  

अध्यादेश के मुताबिक़, अब किसी धरना-प्रदर्शन या आंदोलन में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उसकी क्षतिपूर्ति ऐसा करने वालों से ही की जाएगी। मंत्रिपरिषद की बैठक में सूचित किया गया कि सीएए विरोधी आंदोलन में हिंसा करने वाले 27 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गयी है।

सेंगर, चिन्मयानंद के लगाये फ़ोटो 

योगी सरकार द्वारा लखनऊ में पोस्टर लगवाने के मामले में ख़ासा विवाद हो चुका है और इसे लेकर अब बीजेपी और सपा आमने-सामने आ गए हैं। सपा नेता आईपी सिंह ने गुरुवार रात को राजधानी में बीजेपी नेताओं के फ़ोटो वाले होर्डिंग्स लगाकर नया बवाल खड़ा कर दिया था। ये होर्डिंग्स सरकार द्वारा सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के फ़ोटो वाले होर्डिंग्स के बिलकुल बगल में लगाए गये थे। इन होर्डिंग्स में दुष्कर्म के मामले में आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद, दुष्कर्म के मामले में दोषी और बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर के फ़ोटो थे। आनन-फानन में लखनऊ पुलिस ने गुरुवार देर रात में ही इन्हें हटा दिया था। होर्डिंग में लिखा था - 'ये हैं प्रदेश की बेटियों के आरोपी, इनसे रहें सावधान'। सबसे नीचे लिखा था -  'बेटियां रहें सावधान, सुरक्षित रहे हिंदुस्तान।' 

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इससे पहले योगी सरकार ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा मामले में अभियुक्तों पर कार्रवाई की थी और उनके ख़िलाफ़ लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर 100 वसूली वाले होर्डिंग लगाए थे। इनमें अभियुक्तों की तसवीरें, पता और कई निजी जानकारियां भी छपवायी गयी थीं। पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को दंगाई करार देते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था और उनमें से 57 के ख़िलाफ़ वसूली नोटिस जारी किये थे। 
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने जिला प्रशासन के इस क़दम को नाइंसाफी भरा करार देते हुए इसे व्यक्तिगत आज़ादी पर अतिक्रमण माना था। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस क़ानून के तहत लखनऊ की सड़कों पर इस तरह के होर्डिंग लगाए गए? कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की इजाजत के बिना उसका फ़ोटो या पोस्टर लगाना ग़लत है और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतिम फ़ैसला आना बाक़ी है। 
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कुमार तथागत
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