मणिपुर में पीएम मोदी
मणिपुर हिंसा के दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा हुई। क्या उनकी मुलाकातें और घोषणाएं राज्य के ज़ख्मों को भर पाईं?
मणिपुर ज़ख्मी हुआ, होता रहा, उसके ज़ख्म बार-बार हरे हुए, खुद ही सूखे और अब पपड़ी बनकर उधड़ चुके हैं और अब पीएम अपने साथ ‘मरहम’ लेकर पहुँचे हैं। क्या उनका यह मरहम अब किसी काम का है?
क्या हमें छोड़ दिया जाएगा मरने के लिए, यह कहकर कि ‘लॉ एंड ऑर्डर’ राज्य का विषय है? क्या हमारी पहचान और अस्तित्व सातवीं अनुसूची पर टिका हुआ है?