प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जुलाई को दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल में थे। असल में उनका आधिकारिक कार्यक्रम 5000 करोड़ रुपए की तेल, गैस, बिजली, सड़क और रेल परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए था। लेकिन उन्होंने इस अवसर पर कोलकाता के
आरजी कर मेडिकल कॉलेज बलात्कार का मुद्दा उठाया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधा प्रहार किया कि वो बलात्कार के आरोपियों को बचा रही हैं।
यदि प्रधानमंत्री का ऐसा आरोप सत्य पर आधारित है तो ये वाक़ई बहुत अच्छी बात है कि देश के प्रधानमंत्री मतलब, देश का सबसे बड़ा राजनैतिक प्रमुख देश की उन महिलाओं के मुद्दे को लेकर संवेदनशील है जो प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करती हैं और उच्च शिक्षा लेने के लिए किसी बड़े कॉलेज में दाख़िला लेती हैं और फिर वहाँ पर उनका बलात्कार होता है फिर वो मारी जाती हैं, साथ ही आरोपियों को कोई सज़ा नहीं होती।
मुझे अच्छा लगा कि पीएम ने लगभग एक साल पहले अगस्त में हुए कोलकाता के इस वहशी बलात्कार पर राज्य सरकार से सवाल पूछा। लेकिन मुझे एक सप्ताह पहले
ओडिशा के बालासोर में हुई ऐसी ही जघन्य घटना पर प्रधानमंत्री की चुप्पी खल गई। यह वाक़ई आश्चर्यजनक बात है कि उन्होंने ममता बनर्जी से सवाल पूछा पर
ओडिशा के बलात्कार और मौत के कांड पर उनका कोई सवाल नहीं, कोई आरोप नहीं, वहाँ के मुख्यमंत्री पर कोई प्रहार नहीं। वे चुप हैं और शायद हमेशा चुप रहेंगे।
12 जुलाई, 2025 को बालासोर, ओडिशा के फ़क़ीर मोहन कॉलेज में बी.एड में पढ़ने वाली एक 20 वर्षीय छात्रा ने प्रिंसिपल ऑफिस के सामने खुदपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी। 95% जल चुकी छात्रा को भुवनेश्वर एम्स में भर्ती कराया गया लेकिन 3 दिन बाद 15 जुलाई को छात्रा ने दम तोड़ दिया। छात्रा अपने विभागाध्यक्ष(HoD),समीर कुमार साहू, द्वारा बार बार किए जाने वाले यौन शोषण से बहुत परेशान थी। उसने कई बार इस संबंध में कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप घोष से शिकायत की लेकिन उनका यौन शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उनकी शिकायतों का कोई भी असर नही हो रहा था, न ही कॉलेज के प्रिंसिपल ने ऐक्शन लिया और न ही HoD साहू ने यौन शोषण करना बंद किया।
यह किसी भी संवेदनशील और सभ्य समाज के लिए सोचने की बात है कि ख़ुद को जलाकर मारने के लिए और इस मानसिक अवस्था तक पहुँचने के लिए किसी लड़की को कितना अधिक यौन उत्पीड़न और कितनी अधिक ज़िल्लत झेलनी पड़ी होगी! क्या भारत के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी इस संवेदनशीलता की तह तक सोच भी पा रहे हैं? क्या उनके मन के अंदर महिलाओं के लिए इस स्तर की संवेदनशीलता है भी? यदि हाँ, तो वो इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोले?
मैंने व्यक्तिगत रूप से उनका एक्स अकाउंट चेक किया, सोचा शायद उन्होंने इस पर कुछ बोला हो, लिखा हो, अफ़सोस जताया हो, एक्शन लेने के बारे में कोई जिम्मेदारी वाली बात कही हो! लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला। मैं ज्यादा सोचना नहीं चाहती हूँ लेकिन मेरे अंदर की महिला मुझे यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बालासोर घटना पर सिर्फ़ इसलिए कुछ नहीं बोला क्योंकि वहाँ उनके ही दल अर्थात बीजेपी की सरकार है और बार-बार कोलकाता रेप केस पर मात्र इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि वहाँ राजनैतिक विपक्षी दल, टीएमसी की सरकार है?
मात्र 7 दिन पुरानी घटना पीएम मोदी भूल गए और एक साल पुरानी घटना उनके ज़हन में इतनी गहराई तक बसी हुई है, क्यों? क्या पीएम मोदी का ज़हन ‘सेलेक्टिव’ है और उनका यह सेलेक्शन पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से सीधे सीधे जुड़ा हुआ और प्रभावित है? यदि ऐसा है, तो यह महिलाओं के लिए बहुत असुरक्षित,खतरनाक़ और चिंता करने वाली बात है।
बलात्कार जैसे मामलों में देश के प्रधानमंत्री का यह व्यवहार बहुत निराशाजनक है। बलात्कार होने के बाद, दुर्घटना घटने के बाद हर राज्य सरकार हरकत में आती है। फिर चाहे आरजी कर मामले में ममता बनर्जी सरकार हो या फिर बालासोर मामले में मोहन चरण माझी सरकार! सवाल यह है कि देश का प्रधानमंत्री इसे किस नज़रिये से देखता है, सवाल यह है कि देश के प्रधानमंत्री के लिए दो राज्यों के बलात्कार अलग अलग कैसे हैं? वो आख़िर कैसे दो पीड़ित लड़कियों के बीच सफलतापूर्वक विभेद कर पाता है?
यदि मुझे कहना हो तो मैं इसे ‘सेलेक्टिव संवेदनशीलता’ न कहकर ‘घोर असंवेदनशीलता’ कहूँगी। एक प्रधानमंत्री के लिए क्या सिर्फ़ दलीय प्रतिबद्धता ही महत्वपूर्ण है? एक लोकतांत्रिक देश तमाम विचारधाराओं के मिश्रण से बनकर मजबूत होता है। किसी दल की विचारधारा/पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता सरकारी कामकाज में इस तरह से शामिल नहीं होनी चाहिए। जब कोई पीएम अवसंरचना परियोजनाओं के उद्घाटन के अवसर को भी अपने राजनैतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करता है वो भी महिलाओं को ढाल बनाकर तो यह शोभा नहीं देता।
कोई व्यक्ति, प्रधानमंत्री बनकर अपने इतने गरिमामयी पद और उसकी प्रतिष्ठा, उसके भरोसे का इस्तेमाल एक कमजोर और संकुचित नरेटिव गढ़ने में कैसे कर सकता है? पीएम नरेंद्र मोदी को उनके पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता देश में होने वाली लगभग हर राजनैतिक जीत के लिए श्रेय देते रहते हैं। ऐसे में पीएम मोदी से सवाल पूछा जाना चाहिए कि जबसे बीजेपी ओडिशा में सत्ता में आई है तबसे राज्य में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाएँ क्यों बढ़ गई हैं? आख़िर क्यों सत्ता में आते ही ओडिशा में एक साल के अंदर 8% बलात्कार की घटनाएँ बढ़ गईं? क्या पीएम मोदी इस सच्चाई से वाक़िफ़ नहीं हैं कि ओडिशा में बीजेपी सरकार के पहले आठ महीनों (जून 2024 से मार्च 2025) में महिलाओं के खिलाफ 1,600 अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 54 गैंगरेप के मामले भी शामिल हैं।
ओडिशा के सीएम माझी से पीएम मोदी को सवाल पूछना चाहिए कि बालासोर में 10 साल की बच्ची से बलात्कार क्यों हुआ और उसकी हत्या कैसे हुई? झारसुगुड़ा में कक्षा 6 की छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार क्यों हुआ? केंद्रपाड़ा में यौन उत्पीड़न के कारण कक्षा 12 की छात्रा ने आत्महत्या क्यों कर ली? सीएम माझी से पीएम को पूछना चाहिए कि जबसे आप सत्ता में आए हैं यौन हिंसा की इतनी घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? बलात्कार के मामलों में ओडिशा की सरकार क्या कदम उठा रही है, और यह भी कह देते कि यदि आप अच्छे प्रशासक नहीं हैं तो क्यों ना आपको पद से हटा दिया जाए? लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा कुछ नहीं किया।
मुझे लगता है कि देश की महिलाओं को पीएम से खुद पूछना चाहिए कि जब चुनावों में वोट मांगने का समय आता है तो मोदी का चेहरा स्टार प्रचारक बनकर सामने आता है, पर बलात्कार और अन्य यौन हिंसाओं के मामले में न्याय मांगने की बात आती है तो पीएम सामने ही नहीं आते? वे क्यों छिप जाते हैं? वो क्यों इतने संकुचित हो गए हैं कि बीजेपी की राज्य सरकारों में हो रही यौन हिंसाओं पर मौन व्रत धारण कर लेते हैं? क्या मजबूरी आ जाती है? कौन सा दबाव पड़ जाता है? कौन सा डर सताने लगता है?
ओडिशा ही नहीं अन्य बीजेपी शासित राज्यों के मामले में भी यही हालत है। सोचने वाली बात है कि इस पार्टी की सोच और इसकी कार्यप्रणाली में ऐसी क्या ख़ामी है कि जिन 5 राज्यों में सबसे अधिक बलात्कार (NCRB,2022) के मामले पाये गए हैं उन सभी में बीजेपी की सत्ता है? - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और असम। अगर थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाय कि बीजेपी राजस्थान में अभी दो साल पहले ही आई है तब भी उत्तर प्रदेश का क्या कहेंगे, जहाँ पिछले 8 सालों से बीजेपी सत्ता में है, मध्यप्रदेश में पिछले 20 सालों से सत्ता में है(15 महीने छोड़कर), असम में भी पिछले 9 सालों से भाजपा सत्ता में है और लगभग यही हाल महाराष्ट्र का है। लेकिन कभी भी पीएम ‘मोदी का मन’ उन्हें इन राज्यों में हो रहे जघन्य महिला अपराधों की ओर नहीं ले जाता।
क्या कभी पीएम मोदी ने गौर भी किया है कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए कितना खतरनाक और असुरक्षित होता जा रहा है? उत्तर प्रदेश में 2017 से, बीजेपी सत्ता में है और तब से 2022 के बीच यूपी में कस्टडी में ही 92 महिलाओं के बलात्कार हो चुके हैं(NCRB,2022)। यह संख्या देश भर में सबसे ज़्यादा है।
दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है जहाँ 43 बलात्कार कस्टडी में हुए हैं जो कि दूसरा सबसे ज़्यादा है। पीएम मोदी ने सार्वजनिक रूप से कभी इस पर अफ़सोस नहीं जताया? उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? लेकिन आरजी कर मेडिकल कॉलेज उन्हें अक्सर याद आ जाता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत के प्रधानमंत्री की यादाश्त भी चुनावी हो गई है? जिस राज्य में उनकी सरकार नहीं है वहाँ के हर वर्ग से उन्हें बहुत लगाव है, वहाँ पीएम कोई भी अपराध बर्दाश्त नहीं करेंगे, लेकिन जहाँ उनके दल बीजेपी की सरकार है वहाँ पर कितना भी जघन्य अपराध हो जाए पर सरकार के ख़िलाफ़ एक भी शब्द नहीं बोलते, अपने दल की सरकार के खिलाफ उनके मुँह से कोई भी शब्द इतनी मुश्किल से निकलता है जैसे उनका कंठ और उनके मुख की दूरी कई हज़ार प्रकाश वर्ष हो।
पीएम मोदी को समझना पड़ेगा कि वो भारत के प्रधानमंत्री हैं, सिर्फ बीजेपी के स्टार प्रचारक नहीं। बीजेपी तो मात्र एक दल है जिसकी उम्र ही कुछ सालों पुरानी है। भारत हजारों वर्षों का है और आगे भी रहेगा। अकेले संवैधानिक विकास ही ले लिया जाय तो भारत 75 सालों की संवैधानिक यात्रा कर चुका है। ऐसे में देश के सभी लोगों की चिंता की जानी चाहिए, देश के सभी लोगों की समस्याएं दूर की जानी चाहिए, देश की सभी महिलाओं और सभी युवाओं की समस्या पर गौर करना चाहिए।
देश बीजेपी, कांग्रेस और टीएमसी से बहुत बड़ा है। यहाँ का प्रधानमंत्री भी बहुत बड़ा होता है, उसकी प्रतिष्ठा भी बहुत बड़ी होती है उसे अपने निजी, स्वार्थपरक और क्षणिक लाभ के लिए पीएम पद को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। पीएम मोदी को आगे बढ़कर बालासोर की इस छात्रा के परिवार से मिलना चाहिए, अपनी बीजेपी सरकार से सवाल पूछना चाहिए कि आख़िर क्यों बलात्कार बढ़ते जा रहे हैं, सरकार को कमियाँ सुधारने का मौक़ा देना चाहिए और अगर माझी सरकार बलात्कार रोकने में नाकाम रहती है तो उसे बदल देना चाहिए। यही काम यूपी और एमपी की सरकारों के साथ भी करना चाहिए। यदि ऐसा कर सके तब वो ऐसा नैतिक साहस जुटा पाएंगे जिसके आधार पर वे ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठा सकें।
अन्यथा दिखावा करना है तो उन्हे सत्ता से बाहर हो जाना चाहिए, वो यही करते रहे तो देश की महिलाएं उनका सत्ता से जाना एक दिन निश्चित ही सुनिश्चित कर देंगी।