पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पाँचवे चरण के मतदान में छिटपुट हिंसा, मारपीट, घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप के बीज एक बार फिर भारी मतदान हुआ है। शाम पाँच बजे तक 78.36 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 

सुबह सात बजे के पहले से ही मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी लाइनें लग गई थीं और भारी मतदान होने लगा था। लेकिन इस चरण में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के समर्थकों के बीच कई जगहों पर मारपीट हुई। 

छिटपुट हिंसा

विधान नगर के शांतिनगर इलाक़े में टीएमसी और बीजेपी ने एक दूसरे पर अपने-अपने समर्थकों के पोलिंग बूथ में नहीं घुसने देने का आरोप लगाया। पुलिस का कहना है कि दोनों गुटों ने एक दूसरे पर पथराव किया, ईंटें फेंकी, कुल आठ लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। 

उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में एक मतदान केंद्र पर टीएमसी और सीपीआईएम के समर्थकों के बीच मारपीट हुई। 

उत्तर चौबीस परगना के बीजपुर में टीएमसी और बीजेपी ने एक दूसरे पर वोटरो को मतदान करने से रोकने का आरोप लगाया और आपस में भिड़ गए। 

बिधान नगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार साब्यसाची दत्ता ने आरोप लगाया कि टीएमसी कार्यकर्ता बूथ कैप्चरिंग करना चाहते थे जिसकी वजह से झड़प हुई। 

बिधान नगर से टीएमसी के सुजीत बोस ने कहा, 'बूथ संख्या 265 और 272 पर बीजेपी समर्थकों द्वारा किए गए पथराव में हमारे दो लोग घायल हो गए। हमने चुनाव पर्यवेक्षक और पुलिस को सूचित कर दिया है। अब स्थिति सामान्य है।'

कामरहाटी विधानसभा क्षेत्र के एक बूथ पर बीजेपी के पोलिंग एजेंट 43 साल के अभिजीत सामंत की मौत हो गई। मौत का कारण स्वास्थ्य ख़राब होना बताया गया। 
अभिजीत के भाई ने आरोप लगाया कि किसी ने उनकी मदद नहीं की और यहाँ कोई सुविधा नहीं है। कमरहटी विधानसभा के उस बूथ पर पोलिंग एजेंट की मौत को लेकर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट तलब की है।

पश्चिम बंगाल में इसके पहले 135 सीटों के लिए मतदान कर लियाा गया है और शनिवार के मतदान के बाद इसकी 294 सीटों में से आधे से अधिक के परिणाम सील हो जाएँगे। 
आज के चुनाव में जिन बड़े नेताओं का भविष्य दाँव पर है उनमें तृणमूल के ब्रत्य बसु, गौतम देब और सिद्दीकुल्ला चौधरी और बीजेपी के जगन्नाथ सरकार शामिल हैं।
बीजेपी सभी 45 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सत्तारूढ़ तृणमूल 42 सीटों पर लड़ रही है और बाक़ी की तीन सीटें सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) को दी हैं। कांग्रेस केवल 11 पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें गठबंधन सहयोगी सीपीएम 25 और बाक़ी की सीटों पर अन्य छोटी पार्टियों को टिकट दिए गए हैं।

इस चरण में जाति ही सबसे बड़ा मुद्दा बन कर उभरी है। इस दौर में जहाँ उत्तर बंगाल के तीन ज़िलों—दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी ज़िले की 13 सीटों पर बीजेपी मज़बूत नज़र आ रही है तो दक्षिण बंगाल के तीन ज़िलों—उत्तर 24-परगना, पूर्व बर्दवान और नदिया ज़िले की 32 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस। लेकिन इस दौर में चाय बागान मज़दूरों के अलावा मतुआ और अल्पसंख्यक समुदाय की भूमिका निर्णायक होगी।

बता दें कि 2016 में तृणमूल ने 32 सीटें जीतीं और 45 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट हासिल किए थे। बीजेपी और उसके सहयोगियों को तीन सीटें और 13 प्रतिशत से कम वोट मिले थे। कांग्रेस और वाम दलों (तब सहयोगी नहीं) ने पाँच-पाँच सीटें जीती थीं। 2019 में बीजेपी को इन क्षेत्रों से 45 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे और तृणमूल को 41 प्रतिशत।