म्यांमार में चीन ने फिर अपनी पैठ बना ली है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का 17 व 18 जनवरी को म्यांमार का कामयाब दौरा यही संकेत देता है। इस दौरे में राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने म्यांमार और चीन के बीच रिश्तों में नये युग की शुरुआत का एलान किया है। इस दौरान चीन ने वहाँ अपनी ‘चेकबुक’ कूटनीति फिर चलाई और अरबों डॉलर के नये ढाँचागत विकास प्रोजेक्टों के समझौते किए।
श्रीलंका, नेपाल के बाद म्यांमार पर भी चीन की पकड़, चौतरफ़ा घिरा भारत?
- दुनिया
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- 19 Jan, 2020

अब म्यांमार में चीन के पक्ष में एक बार फिर हवा बहने लगी है क्योंकि म्यांमार के शासक रोहिंग्या मसले पर चीन का अंतरराष्ट्रीय समर्थन पाकर काफ़ी राहत महसूस कर रहे हैं। इसी तरह चीन ने श्रीलंका में भी नई सरकार के साथ अपने रिश्ते पहले की तरह बहाल कर लिये हैं। भारत के इर्दगिर्द सभी पड़ोसी देशों को ढाँचागत विकास के मायाजाल में फाँसने की रणनीति लागू कर रहा है। भारत के लिए यह चिंता की बात है।
2016 में म्यांमार में जनतांत्रिक नेता आंग सान सू की द्वारा स्टेट काउंसलर का सरकारी दायित्व संभालने के बाद यह उम्मीद की जाने लगी थी कि वह जनतांत्रिक भारत के साथ म्यांमार के पारम्परिक रिश्ते बहाल करेंगी और उस चीन के साथ किनारा करेंगी जिसने म्यांमार के सैनिक शासन के दौरान वहाँ के सैनिक जनरलों को सत्ता में बने रहने में मदद दी और बदले में म्यांमार के आर्थिक संसाधनों का नाजायज दोहन करने के इरादे से कई दीर्घकालीन समझौते किए। आंग सान सू की जब सत्ता में आईं तब इस आशय के संकेत मिले कि चीन ने म्यांमार में ढाँचागत परियोजनाओं में निवेश करने के जो समझौते किये हैं उन्हें रद्द किया जा सकता है।