कोरोना वायरस से विमान कंपनियों का कारोबार तेज़ी से गिरा है। यदि ऐसी ही स्थिति रही तो उनका व्यापार इस हद तक गिर जाएगा कि दो महीने में यानी मई तक दुनिया भर की विमान कंपनियों का दिवाला निकल जाएगा।
पूरी दुनिया की ज़िंदगियों ही नहीं, अर्थव्यवस्था को झकझोर देने वाला
कोरोना वायरस अब एयरलाइंस में घुस गया है। इस वायरस के फैलने का असर ऐसा हुआ है कि विमान कंपनियों का कारोबार तेज़ी से गिरा है। यदि ऐसी ही स्थिति रही तो उनका व्यापार इस हद तक गिर जाएगा कि दो महीने में यानी मई तक दुनिया भर की विमान कंपनियों का दिवाला निकल जाएगा। वैश्विक विमानन कंसल्टेंसी फ़र्म सीएपीए ने यह रिपोर्ट जारी की है। हालाँकि इसमें उम्मीद की एक किरण यह है कि इसने कहा है कि यदि सरकारें और विमान उद्योग एक्शन लें तो ऐसी स्थिति में पहुँचने से बच सकते हैं। तो क्या कोरोना वायरस को नियंत्रित करना इतना आसान है?
कोरोना वायरस काफ़ी तेज़ी से फैलने वाला वायरस है। अब तक इसका इलाज नहीं ढूँढा जा सका है। सावधानियाँ बरतना ही सबसे बेहतर उपाय है। सावधानियाँ बरती भी जा रही हैं लेकिन यह नियंत्रित होता दिखायी नहीं दे रहा है। अब स्थिति तो ऐसी हो गई है कि यह दुनिया भर में फैल चुका है और विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है। इससे अब तक 1 लाख 73 हज़ार लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 6600 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। दुनिया के 158 देशों में इसका असर है। भारत में अब तक 129 मामले सामने आए हैं जिसमें से 2 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना वायरस का असर जिस तरह से हर क्षेत्र पर पड़ रहा है उसमें सीएपीए के इस आकलन पर संदेह की गुंजाइश नहीं बनती है। कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा असर विमान कंपनियों पर ही हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण इस वायरस का लोगों में खौफ है। इसी खौफ की वजह से दुनिया भर के देशों ने दूसरे देशों में जाने पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। कई देशों ने दूसरे देशों की यात्रा पर पाबंदियाँ लगाई हैं तो ख़ुद के देश में आने पर भी सख्ती बरती जा रही है। अमेरिका ने तो यूरोपीय देशों का वीजा रद्द कर दिया है। भारत ने भी एहतियात के तौर पर सभी देशों के लिए वीजा जारी करना बंद कर दिया है। पर्यटन भी प्रभावित हुआ है, दूसरे देशों में पढ़ने वाले छात्र और काम करने वाले लोग भी पहले की तरह एक से दूसरे देश की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। इसका साफ़ मतलब है कि विमान यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। इसी का नतीजा है कि विमान कंपनियों को अपने विमान ग्राउंड करने पड़े हैं यानी विमानों को एयरपोर्ट पर खड़ा रखना पड़ा रहा है।
ऐसी किसी एक देश की स्थिति नहीं है, बल्कि दुनिया भर की विमान कंपनियों पर ऐसा ही दबाव है। अटलांटा आधारित विमान कंपनी डेल्टा एयरलाइन्स का ही उदाहरण लें। यही एक बड़ी कंपनी है। इसको अपने 300 विमान ग्राउंड करने पड़े हैं। इस कंपनी को अपनी 40 फ़ीसदी उड़ानें कम करनी पड़ी हैं। भारत की सबसे बड़ी विमान कंपनी इंडिगो ने कहा है कि हर रोज़ की उसकी बुकिंग में 15-20 फ़ीसदी की कमी आई है।
ऐसी ही स्थिति को देखते हुए सीएपीए ने सोमवार को विमान कंपनियों के दिवालिया होने की चेतावनी दी है। इसने कहा है कि विमानों के ग्राउंड होने के कारण कंपनियों की जमा नकदी ख़त्म हो रही है।
जो उड़ानें चलाई जा रही हैं उसमें भी अस्थिरता बनी हुई है क्योंकि हर रोज़ नई एडवाइज़री जारी होने से उड़ानों को लेकर संशय बना रहता है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने आशंका जताई है कि कोरोना वायरस के असर से दुनिया भर की विकास दर प्रभावित होगी और इसमें गिरावट आएगी। यह तर्क निराधार भी नहीं है। दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएँ जुड़ी हुई हैं और ऐसे में यदि कोरोना वायरस के कारण इसमें व्यवधान आएगा तो अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी ही। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों में तो कोरोना वायरस का असर ज़्यादा ही है।
मूडीज़ ने भारत के बारे में भी आशंका जताई है कि जीडीपी वृद्धि दर में क़रीब एक फ़ीसदी की गिरावट आएगी। मूडीज़ ने चीन में फैले कोरोना वायरस का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की जो आशंका जताई थी, वह सही साबित होती दिख रही है। कोरोना वायरस के कारण भारत के व्यापार पर असर पड़ा है और ऐसी रिपोर्टें हैं कि
कई जीचें 30 से 50 फ़ीसदी तक महँगी हो गई हैं। ऐसे में विमान कंपनियों के बारे में सीएपीए की आशंका निराधार नहीं है।