नेपाल में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक नया नाम अंतरिम प्रधानमंत्री की दौड़ में सामने आया है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रबंध निदेशक कुलमान घिसिंग का नाम Gen Z प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया है। यह प्रस्ताव तब आया जब काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने इस पद के लिए अपनी रुचि से इनकार कर दिया और पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की की उम्मीदवारी संवैधानिक बाधाओं के कारण बाहर हो गई। घिसिंग को नेपाल के दशकों पुराने बिजली संकट को ख़त्म करने के लिए जाना जाता है।

नेपाल में हाल में जन-आंदोलन चल रहा है। यह Gen Z यानी युवाओं द्वारा चलाया जा रहा है। ये प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के खिलाफ शुरू हुए। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा है। इसके बाद देश में अंतरिम सरकार के गठन की चर्चा तेज हो गई।
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प्रदर्शनकारियों ने पहले काठमांडू के मेयर और रैपर-इंजीनियर बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए अपनी पहली पसंद के रूप में प्रस्तावित किया था। हालाँकि, शाह ने इस पद के लिए रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद Gen Z समूह ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नामित किया, लेकिन उनकी उम्मीदवारी पर कुछ संवैधानिक प्रावधानों को लेकर ब्रेक लग गया। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश या जज प्रधानमंत्री के पद के लिए पात्र नहीं हैं। इसके अलावा कुछ प्रदर्शनकारियों ने कार्की की ज़्यादा उम्र को लेकर भी आपत्ति जताई। इसी के बाद घिसिंग का नाम सामने आया।

कुलमान घिसिंग कौन हैं?

54 वर्षीय कुलमान घिसिंग नेपाल के सबसे सम्मानित तकनीकी विशेषज्ञों में से एक हैं। इन्हें देश में 18 घंटे तक की दैनिक बिजली कटौती को ख़त्म करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भारत के झारखंड में जमशेदपुर के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी पढ़ाई पूरी की और बाद में नेपाल के पुलचौक इंजीनियरिंग कॉलेज से पावर सिस्टम इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री हासिल की। अपनी प्रबंधन क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए उन्होंने MBA भी किया।
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घिसिंग ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण यानी एनईए में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वर्षों तक तकनीकी और प्रशासनिक भूमिकाओं में काम करने के बाद उन्हें एनईए का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था। उस समय नेपाल दशकों से बिजली संकट से जूझ रहा था, जहां लोगों को रोजाना 18 घंटे तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ता था। घिसिंग ने रणनीतिक सुधारों और कुशल प्रबंधन के जरिए इस संकट को ख़त्म कर दिया, जिससे वह देश भर में एक नायक के रूप में उभरे।

घिसिंग दौड़ में क्यों?

Gen Z प्रदर्शनकारियों ने घिसिंग को उनकी स्वच्छ छवि, प्रशासनिक क्षमता और देश के प्रति समर्पण के कारण चुना। एक बयान में प्रदर्शनकारी समूह ने कहा, 'चूँकि बालेंद्र शाह ने रुचि नहीं दिखाई, धरान के मेयर हरक संपंग को सभी को नेतृत्व करने की संभावना कम है और सुशीला कार्की अयोग्य और 70 वर्ष से अधिक उम्र की हैं। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि सभी के प्रिय और देशभक्त व्यक्ति इंजीनियर कुलमान घिसिंग को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए भेजा जाए।'
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नेपाल में घिसिंग की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह एक गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से होने के बावजूद शीर्ष पद के लिए एक मज़बूत दावेदार बन गए हैं। कई नेपाली उन्हें भ्रष्टाचार से मुक्त और सक्षम प्रशासक के रूप में देखते हैं।

हालाँकि, कुछ जानकारों का मानना है कि घिसिंग की गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि उनके लिए चुनौती बन सकती है।

नेपाल में चल रहे इस राजनीतिक संकट और Gen Z आंदोलन ने देश के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें जगाई हैं। कुलमान घिसिंग का नाम सामने आने के बाद कई लोग इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देख रहे हैं। 

कुलमान घिसिंग ने नेपाल के बिजली संकट को ख़त्म करके लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया, अब देश के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक पद की दौड़ में हैं। उनकी स्वच्छ छवि और बड़ी उपलब्धियां उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या वह इस नई चुनौती को उतनी ही कुशलता से पार कर पाएंगे।