नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के खिलाफ दो दिन में ही विरोध प्रदर्शन शुरू। जेनरेशन जेड के युवा बोले– इस सरकार को भी गिरा देंगे। पूरी खबर पढ़ें।
नेपाल में युवाओं का ग़ुस्सा फिर से भड़क उठा है। इस बार यह ग़ुस्सा
नयी प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की के ख़िलाफ़ है। उनको महज तीन दिन पहले ही अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है। और अब Gen Z के युवा प्रदर्शनकारी फिर से सड़कों पर उतर आए हैं। उनका नारा है-‘इस सरकार को भी गिरा देंगे’। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई सरकार भी पुरानी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है और यदि सुशीला कार्की ने वादे पूरे नहीं किए तो वे इसे भी उखाड़ फेंकेंगे। यानी
भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और राजनीतिक भाई-भतीजावाद के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन कुछ दिनों पहले ही केपी शर्मा ओली की सरकार गिराने के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में रविवार रात को प्रधानमंत्री आवास के बाहर तनाव भड़क उठा। हामी नेपाल संगठन के संस्थापक सुडान गुरुंग ने अपने समर्थकों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। इसमें अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के इस्तीफे की मांग की गई। यह प्रदर्शन कार्की के शपथ ग्रहण के महज दो दिन बाद हुआ, जब जनरेशन जेड ने उन्हें ही अपना पसंदीदा नेता चुना था। प्रदर्शनकारियों में हाल के जेन जेड आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवार भी शामिल थे, जो नारे लगा रहे थे- ‘मृतकों पर राजनीति मत करो’ और ‘पीएम इस्तीफा दो’।
आंदोलन की वजह
नेपाल में यह सब कुछ हफ्ते पहले शुरू हुआ था। नेपाल सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। Gen Z के युवाओं ने इसे अपनी आवाज दबाने का प्रयास माना। 8 सितंबर को काठमांडू के मैतीघर मंडला में हजारों युवाओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। उनके मुख्य मुद्दों में से एक था- राजनेताओं के बच्चों यानी ‘नेपो किड्स’ की ऐशोआराम भरी जिंदगी बनाम आम नेपाली युवाओं की बेरोजगारी और गरीबी। भ्रष्टाचार तो बड़ा मुद्दा था ही। आंदोलन हुआ। हामी नेपाल नामक युवा-नेतृत्व वाला संगठन इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा था, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सुधारों की मांग की। संगठन के नेता सुडान गुरुंग और उनके समर्थकों ने संसद के तत्काल विघटन और जेन जेड की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाली अंतरिम सरकार की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पूर्वजों ने राजशाही ख़त्म की, लेकिन आज भी भ्रष्ट नेता सत्ता पर काबिज हैं। प्रदर्शन तेजी से फैला और सोमवार को यह हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, नेपाली कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर को आग लगा दी।
आंदोलन के दौरान हिंसा में कई लोग मारे गए और बड़ी संख्या में घायल हो गए। आंदोलन के बाद ओली सरकार गिर गई और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
नई सरकार का चुनाव
Gen Z के ये युवा ज़्यादातर 18-25 साल के हैं। युवाओं की पसंद के संभावित नेताओं के नाम चुने गए। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की सबसे आगे रहीं। उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी छवि ने युवाओं को प्रभावित किया।
12 सितंबर को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और Gen Z प्रतिनिधियों के बीच समझौते के बाद कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। उन्होंने संसद भंग कर दी और 5 मार्च 2026 को नए आम चुनावों की घोषणा की। कार्की ने कहा, 'हम सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए। हम छह महीने से ज्यादा नहीं रहेंगे। युवाओं के सपनों के साथ देश का पुनर्निर्माण करेंगे।' कार्की ने प्रदर्शन में मारे गए लोगों को ‘शहीद’ घोषित किया और उनके परिवारों को 10 लाख नेपाली रुपये की सहायता देने का ऐलान किया। उन्होंने हिंसा और लूटपाट की न्यायिक जांच का वादा भी किया।
नई सरकार के खिलाफ प्रदर्शन क्यों?
नई सरकार के बाद भी युवाओं का ग़ुस्सा शांत नहीं हुआ। 14 सितंबर से काठमांडू और अन्य शहरों में फिर से प्रदर्शन शुरू हो गए। Gen Z का कहना है कि कार्की सरकार पुरानी पार्टियों से प्रभावित है और भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। सुडान गुरुंग ने शुरुआत में कार्की का समर्थन किया था। शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने कार्की का समर्थन जताया। लेकिन अब, महज दो दिनों में ही रिश्ते खराब हो गए। हामी नेपाल का आरोप है कि कार्की ने मंत्रिमंडल गठन में उनकी सलाह को नजरअंदाज किया।
मंत्रिमंडल गठन पर विवाद
कार्की ने रविवार को तीन महत्वपूर्ण मंत्रियों की नियुक्ति की, बिना हामी नेपाल से सलाह लिए। इनमें शामिल हैं:
- ओम प्रकाश आर्यल (काठमांडू मेयर बालेन शाह के कानूनी सलाहकार) को गृह मंत्री बनाया गया।
- रमेश्वर खनाल (पूर्व वित्त सचिव) को वित्त मंत्री।
- कुलमान घिसिंग (पूर्व बिजली प्राधिकरण के सीईओ) को ऊर्जा मंत्री।
ये नियुक्तियाँ सक्षम तकनीकी विशेषज्ञों को लाने के इरादे से की गईं, लेकिन सुडान गुरुंग ने प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने विशेष रूप से ओम प्रकाश आर्यल पर निशाना साधा और कहा, 'यह ओम प्रकाश वकील अंदर बैठकर खुद को गृह मंत्री बना रहा है।' गुरुंग ने आर्यल पर युवा गठबंधन को दरकिनार करने का आरोप लगाया। हामी नेपाल के समर्थक दावा कर रहे हैं कि जेन जेड आंदोलन अब राजनीतिक व आंतरिक लोगों द्वारा हाईजैक हो गया है। प्रदर्शन के दौरान गुरुंग ने पीएम आवास के बाहर कहा, 'नेपाल के सबसे ताक़तवर लोग खुद नेपाली जनता हैं। कोई हमें रोक नहीं सकता। हमने जहां रखा है, वहां से उन्हें नीचे उतार देंगे।' यह बयान नई सरकार और उनके समूह के बीच बढ़ते फूट का संकेत देता है। प्रदर्शन में मारे गए लोगों के परिवारों ने भी हिस्सा लिया, जो कार्की पर मृतकों के बलिदान को राजनीति का शिकार बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
पत्रकार सम्मेलन में हंगामा
रविवार को काठमांडू के रिपोर्टर्स क्लब में सुडान गुरुंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हिंसक हो गयी। राष्ट्रपति भवन में हुई पर्दे के पीछे की बातचीत का जिक्र करते हुए गुरुंग ने चेतावनी दी, 'अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो यह सरकार भी गिरा दी जाएगी।' जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किए तो बहस गरमा गई। गुरुंग ने कथित तौर पर धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके बाद उनके समर्थकों और पत्रकारों के बीच धक्कामुक्की हो गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस हंगामे के बीच समाप्त हो गयी।
गुरुंग ने साफ़ किया कि जेन जेड आंदोलन नेपाल के संविधान को रद्द करने की मांग नहीं कर रहा, बल्कि उसके संशोधन की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हम प्रधानमंत्री की तलाश में नहीं हैं। हमें सरकार की जरूरत नहीं। अगर होती, तो मैं खुद पद ले लेता। हम बदलाव चाहते हैं। कुर्सी पर पहुंचने के बाद अहंकार नहीं होना चाहिए। अब हर नेपाली की आवाज सुनी जानी चाहिए।'