अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।
मणिपुर में ताज़ा हिंसा शुरू होने और विरोध-प्रदर्शन के बाद इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया। गृह मंत्रालय ने पूरे मणिपुर में पाँच दिनों के लिए इंटरनेट निलंबित कर दिया है। आख़िर ऐसी नौबत क्यों आई?
नगर निगम तक के चुनाव भी जी-जान से लड़ने वाली बीजेपी आख़िर हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव लड़ने में उदासीन क्यों दिख रही है? घाटी में उसने उम्मीदवार तक क्यों नहीं उतारे हैं?
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को राज्यसभा में पहली बार बहुमत मिला है तो क्या इसका वह बड़ा फायदा उठा पाएगी? लोकसभा में भी तो बहुमत होने बाद भी एक के बाद एक बिल वापस क्यों लेने पड़ रहे हैं?
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव पर आख़िर पूरे देश की नज़रें क्यों टिकी हैं? इस चुनाव के नतीजे या जनादेश के क्या संदेश होंगे?
जिस जनगणना को विश्व युद्ध के दौरान भी रोका नहीं जा सका है, उसको आख़िर अब तक क्यों नहीं कराया गया? क्या विपक्ष के नेता के तौर पर इसको उठाने की ज़िम्मेदारी राहुल गांधी की नहीं है?
नीट पेपर लीक मामले में भले ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जो कुछ भी आए, लेकिन एक तो तय है कि धर्मेन्द्र प्रधान और नरेंद्र मोदी सरकार की परीक्षा अभी से शुरू हो गई है?
कठुआ के बनडोटा गाँव के पास आतंकियों ने घात लगाकर फौजी वाहन पर हमला किया। उससे एक दिन पहले भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। श्रद्धालुओं वाली बस पर भी हमला किया गया। आख़िर ये हमले क्यों बढ़ रहे हैं?
विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी का पहला भाषण कितना सफल रहा? पढ़िए, संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राहुल के भाषण का विश्लेषण।
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के नतीजों को लेकर विवाद क्यों हुआ? इसमें एक के बाद एक गड़बड़ियों के आरोप क्यों लग रहे हैं?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दो दिन पहले आए बयान के मायने क्या हैं? क्या बीजेपी में ही सुधार की ज़रूरत है? क्या संघ का कोई कसूर नहीं है?
लोकसभा चुनाव नतीजों ने आख़िर ऐसा क्या कमाल कर दिया कि भाजपा के दो बड़े नेताओं- मोदी और शाह का व्यवहार और बॉडी लैंग्वेज एकदम बदला है?
लोकसभा चुनाव के आख़िरी चरण आते-आते प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से प्रचार कर रहे हैं क्या वह भाजपा के हारने या कमजोर पड़ने का लक्षण है? जानिए, आख़िर क्यों विपक्ष को सचेत रहना चाहिए।
इस लोकसभा चुनाव में दलित वोट बीएसपी के साथ जाएगा या फिर बीजेपी और इंडिया गठबंधन इसमें सेंध लगा पाएँगे? भविष्य में दलित समाज पर क्या असर होगा?
क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इसका असर शेयर बाज़ार पर पड़ रहा है? क्या चुनाव की अनिश्चितता का भय शेयर बाज़ार को लग रहा है?
क्या इस बार बीजेपी के जातिगत समीकरण बिगड़ गए हैं? जानिए, आख़िर उसके साथ ऐसी मुश्किल क्यों आन पड़ी और इसके पीछे सबसे बड़ी वजहें क्या हैं।
पिछड़ा, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, गरीब और ग्रामीण जनता ही क्षेत्रीय दलों का आधार है। क्या बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी इन दलों की जगह ले पाएगी?
क्या आपको पता है कि जनगणना जैसा अहम काम भी क्यों रोका गया है जिसे विश्वयुद्ध और कई तरह की महामारी में भी नहीं रोका गया था? अब अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार तक के आँकड़े क्या संकेत देते हैं?
दिल्ली आबकारी केस मामले में दो साल से ज्यादा की मुस्तैदी के बावजूद ईडी अभी तक पैसे के लेन-देन का कोई प्रमाण क्यों नहीं ला पाई है? और चुनावी बॉन्ड की जानकारी सामने आने के दिन ही केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों?
चुनाव के ठीक पहले ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर रामनाथ कोविंद कमेटी की रिपोर्ट लाने की क्या जल्दी थी?
प्रधानमंत्री मोदी को जब चुनाव में '400 पार' के नारे और 50 फ़ीसदी वोट पर विश्वास है तो फिर हर रोज का नया तिकड़म क्यों हो रहा है? कहीं कुछ और बड़ी वजह तो नहीं?
परिवार पर लालू यादव के बयान को लेकर जिस तरह से बीजेपी ने पीएम 'मोदी का परिवार' अभियान छेड़ा है, क्या उसका असर लोकसभा चुनाव में होगा?
केंद्र सरकार ने ग़रीबी घटने के बड़े दावे किए हैं, लेकिन क्या यह पता है कि यह कैसे हुआ? क्या ग़रीबी रेखा के बारे में जानकारी है? क्या पता है कि प्रतिदिन कितने ख़र्च को आधार बनाया गया है?
एक सर्वे के अनुसार देश में पहली बार सात अंडर-ग्रेजुएट कोर्स में से पाँच में लड़कियों का अनुपात लड़कों से ऊपर हो गया है। इसका क्या संकेत है?
मोदी सरकार श्वेतपत्र यूपीए सरकार पर ले आई तो कांग्रेस ने ब्लैकपेपर पेश किया। आख़िर इनके मायने क्या थे और क्या सच में किसके शासन में अर्थव्यवस्था ठीक रही?
नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद क्या राम मंदिर का मुद्दा अब चर्चा से गायब हो गया है? आख़िर नीतीश कुमार से बीजेपी को क्या फायदा होगा और क्या नीतीश को भी कुछ फायदा मिल पाएगा?
क्या बीजेपी का 400 सीटों का लक्ष्य हवा में तीर चलाने जैसा है या फिर इसके अनुसार इसकी तैयारी भी है? क्या पार्टी की रणनीति उस स्तर की है?