झारखंड में संभावित रूप से नवंबर-दिंसबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गहमाहमी शुरू हो गई है। जानिए, पीएम मोदी लगातार दौरे क्यों कर रहे हैं और सोरेन इसकी काट के लिए क्या रणनीति अपना रहे हैं।
झारखंड में नवंबर- दिसंबर में चुनाव संभावित है, लेकिन अभी से ही राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और मंत्री व बीजेपी के बड़े नेताओं की फौज उतर गई है। जानिए, हेमंत सोरेन कैसे निपट रहे हैं इनसे।
हेमंत सोरेन का कहना है कि झारखंड सरकार ने आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, लेकिन केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जानिए, सरना धर्म कोड क्या है और इस मुद्दे को लेकर किस राजनीतिक दल की क्या स्थिति है।
विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जिस तरह से जाल बिछाया और चंपाई सोरेन के माध्यम से घेराबंदी की है, उससे हेमंत सोरेन कैसे निकल पाएँगे? क्या बीजेपी की इस घेरेबंदी से निकलने की रणनीति है उनके पास?
झारखंड में राजनीतिक उथल-पुथल तेज होने वाली है। दिल्ली में भाजपा नेताओं से बिना मिले रांची लौटे चंपाई सोरेन वहां जाकर कह रहे हैं कि अब वो नया राजनीतिक दल बनाएंगे और अपनी राजनीति करेंगे, जो उनसे हाथ मिलाएगा, उनसे वो मिलेंगे। यानी अभी भी बहुत सी बातें वो स्पष्ट नहीं करना चाहते। जानिए, वो क्या चाहते हैंः
चंपाई सोरेन ने कहा है कि कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। तो सवाल है कि इनके अलग होने से जेएमएम और हेमंत सोरेन का कितना नुक़सान होगा?