संसद प्रधानमंत्री से बड़ी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यह लकीर खींच कर जा चुके हैं। भाजपाई कुनबा उस लकीर को मिटाना चाहता है, उसके सामने संसद की गरिमा का कोई महत्व नहीं है। वो संसदीय लोकतंत्र को तार-तार करना चाहता है। संदीप सिंह को पढ़िएः
भारत जैसे विविधता वाले देश में आख़िर समुदायों के बीच नफ़रत कैसे फैल रही है? क्या यह अकस्मात है या फिर इसके पीछे कोई ताक़त है? आख़िर ऐसी नफ़रत बोने वाले लोग कौन हैं?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आख़िर क्यों निकाली जा रही है और इसका असल मक़सद क्या है? पढ़िए, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के सलाहकार संदीप सिंह की टिप्पणी।