लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर सरकारी शिकंजा कसता दिख रहा है। एफसीआरए जांच और हालिया कार्रवाई के बीच क्या उन्हें जेल भेजा जा सकता है? देखें आशुतोष की बात में।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।